Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Antra Chapter 2 – Geet Gaane Do Mujhe, Saroj Smriti
Geet Gaane Do Mujhe and Saroj Smriti are two beautiful poems penned by Suryakant Tripathi Nirala Ji. The first poem, ‘Geet Gaane Do Mujhe’ talks about the anguish and desperation all around, and through his poem, the poet wants to ignite their spirits. The second poem, ‘Saroj Smriti’ is a beautiful expression of love and loss, which he wrote in remembrance of his deceased daughter ‘Saroj’. The poet beautifully depicts how he held her at her birth, how he walked her down the aisle, and how he finally did the necessary rituals to help her walk away from this world.
Students must read these beautiful poems included in their NCERT Class 12 Hindi Antra textbooks to develop a deeper understanding of language and life. Through these poems, the poet takes the students on a philosophical whirlwind where they are forced to think about the deeper aspects of life.
Along with studying the NCERT textbooks, students studying in Class 12 must also try solving the important questions and go through the solutions to understand the different viewpoints of these poems. Solving important questions will also help them develop a knack for answering literature questions with poise and logic. Further, these questions are picked from the previous year’s question papers, and there is a high chance of their appearing in the board exam papers.
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Study Important Questions Class 12 Hindi Antra Chapter 02 – गीत गाने दो मुझे / सरोज स्मृति
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)
1 . कवि अपनी इस कविता से हमें क्या करने के लिए प्रेरित कर रहा है|
उत्तर: कविता ‘गीत गाने दो मुझे’ के माध्यम से कवि हमें निरंतर संघर्ष करते रहने की प्रेरणा देते हैं|
- निम्न शब्दों का विलोम शब्द लिखिए|
नया, सही, वेदना
उत्तर: नया – पुराना
सही – गलत
वेदना – आनंद
- निम्न शब्दों का शब्दार्थ लिखिए|
संबल, विकल, निराकार
उत्तर: संबल – सहारा
विकल – परेशान
निराकार – जिसका कोई आकार ना हो
- निम्न शब्दों का पर्यायवाची लिखिए।
सेज़, कर्म, उर
उत्तर: सेज़ – बिस्तर, खाट, चारपाई
कर्म – काम, कार्य, क्रिया
उर – हृदय, मन, दिल
- इस पंक्ति में रिक्त स्थान को भरिय|
गीत गाने………….. को रोकने को|
उत्तर : गीत गाने दो मुझे तो,
वेदना को रोकने को।
लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)
- गीत गाने दो मुझे तो, वेदना को रोकने को। इन पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिये।
उत्तर : इन पंक्तियों में कवि अपने मन की पीड़ा को कम करने के लिए गीत गाने का आवेदन कर रहें हैं| अपने जीवन के संघर्षों से कवि अब थक चुकें हैं| कवि बिछड़ चुके अपनों की विरह वेदना में तड़प रहें हैं| अपनी इस वेदना को कम करने के लिए वो गीत गाना चाहते हैं|
- कवि दुखी क्यों है?
उत्तर: कवि के परिवार के लोग और उसके मित्र धीरे-धीरे काल का ग्रास बनकर उनको छोडकर जा चुकें हैं| समाज के पूंजीपति और धोखेबाज़ लोगो ने भी कवि का बहुत शोषण किया है| इन सब कारणों से कवि अत्यंत दुखी है|
- कवि इस संसार से क्यों दुखी है?
उत्तर: कवि कहता है की वर्तमान में लोग बहुत ही स्वार्थी और लालची हो गए हैं| अब संसार में कोई किसी की सहयता नहीं करता| परोपकार का भाव समाप्त हो चूका है| सब एक दुसरे को आगे बढ़ने से रोकते हैं| इसलिए कवि इस संसार से दुखी है|
- कवि समाज का दुश्मन किसको मानते हैं?
उत्तर: कवि समाज में रह रहे लोगो को ही समाज का सबसे बड़ा शत्रु मानतें हैं| कवि के अनुसार समाज अब ऐसा हो गया है की यदि कोई सड़क पर गिर जाए तो कोई भी उसकी मदद करने के लिए आगे नहीं आता है| सब खड़े होकर तमाशा देखने लागतें हैं या फोटो खींचने लगते हैं|
- ‘गीत गाने दो मुझे’ में क्या काव्य विशेषताएं हैं?
उत्तर: ‘गीत गाने दो मुझे’ कविता में खड़ी बोली का उपयोग किया गया है| कविता में अनुप्रास अलंकार का सुन्दरता के साथ उपयोग किया है| ये छंद मुक्त, संगीतात्मक कविता है|
लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)
- ‘आकाश बदलकर बना मही’ में आकाश और मही शब्द से कवि का क्या तात्पर्य है?
उत्तर: कविता में कवि ने आकाश का उपयोग अपनी स्वर्गीय पत्नी और मही शब्द का उपयोग नवबधु के रूप में सजी हुई अपनी पुत्री के लिए किया है| कवि की पुत्री विवाह के समय दुल्हन के रूप में बहुत सुन्दर लग रही है| कवि को ऐसा लग रहा है जैसे उसकी स्वर्गीय पत्नी का अलोकिक सौंदर्य आकाश से उतर कर उसकी पुत्री में सरोज में समा गया है| अपनी पुत्री सरोज के रति जैसे अनुपम सौंदर्य को देखकर कवि को अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद आ रही| कवि से अब सिरह वेदना की पीड़ा सही नही जा रही है||
- इन पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।
“चोट खाकर राह चलते
होश के भी होश छूटे,
हाथ जो पाथेय थे,
ठग-ठाकुरों ने रात लूटे”
उत्तर: कवि इस पद्यांश में समाज के लोगो के द्वारा उसे दिए गए धोखे के विषय में बता रहें हैं| कवि बताते हैं कि उसके जीवन में उन्हें लगातार संघर्ष करना पड़ा है| इन संघर्षो ने उन्हें असहनीय पीड़ा दी है| जिनके भी सहारे वह जीवन जी रहे थे| उन सब सहारों को पूंजीपतियों और धोखेबाज़ लोगो ने उससे छीन लिया| अपनी इस पीड़ा को कम करने के लिए कवि गीत गाना चाहतें हैं|
- इन पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।
“कंठ रूकता जा रहा है,
आ रहा है काल देखो।“
उत्तर : कवि इन पंक्तियों में बता रहें कि “मेरे हर सहारे और ख़ुशी को पूंजीपतियों ने मुझसे छीन लिया है| अब अपने उन प्रियजनों के बिना जीना कठिन हो रहा है| अब मुझसे ये पीड़ा सही नहीं जा रही है| मुझे अपना कंठ रुकता हुआ महसूस हो रहा है|” अर्थात कवि को ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे कि मृत्यु अब निकट ही है|
- इन पंक्तियों का भावार्थ लिखिए ।
“भर गया है ज़हर से
संसार जैसे हार खाकर,
देखते हैं लोग लोगों को,
सही परिचय नहीं पाकर,”
उत्तर: इन पंक्तियों में निराला जी समाज में बढ़ते स्वार्थ और लालच के विषय में बता रहें हैं| वो कहतें हैं कि इस संसार के लोगो के मन में अब लालच और स्वार्थ का ज़हर इतना भर गया है कि अब कोई भी किसी की सहायता नहीं करता है| सब एक दूसरे से घृणा और द्वेष रखते हैं| लोग एक दुसरे से दूर होते जा रहें हैं और सब एक दूसरे से अनजान बनकर रहने लगे हैं| संसार में भाईचारे की भावना बिलकुल समाप्त हो चुकी है|
- इन पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।
“बुझ गई है लौ पृथा की,
जल उठो फिर सींचने को।“
उत्तर: निराला जी कहते हैं कि इस दुनिया में प्रेम और आपसी सद्भाव पूरी तरह से ख़त्म हो चूका है| वो इसके बाद आशावादी होते हुए समाज का अवाहन करते हुए कहते हैं कि यदि समाज को इस निराशा और दुःख से बाहर निकलना है तो सभी को आपसी सद्भाव बढाने के लिए आपसी भाईचारे की लो को फिर से जलाना होगा|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)
- कवि गीत क्यों गाना चाहते हैं?
उत्तर: कवि अपने जीवन भर के संघर्षो से थक चुके हैं| कवि के जीवन में जो भी अपने थे वो सब भी उनको छोडकर चले गएँ हैं| संसार में सभी लोग लालची और स्वार्थी हो चुकें हैं| समाज का सद्भाव बिलकुल खत्म हो गया है| समाज के पूंजीपतियों ने भी कवि को बहुत पीड़ा पहुँचाई है और हमेशा उसको आगे बढ़ने से रोका है| कवि अब अपने जीवन से इतना निराश हो चुकें है कि उसके लिए ये जीवन में कोई उमंग नहीं बची है| अब उनके लिए जीवन जीना मुश्किल होता जा रहा है| कवि अपनी इस वेदना को सहन नहीं कर पा रहें हैं| कवि अपनी इस वेदना को कम करने के लिए गीत गाना चाहतें हैं|
- कवि अपनी कविता ‘सरोज स्मृति‘ के माध्यम से क्या अभिव्यक्त करना चाहतें हैं?
उतर: निराला जी ने ये कविता अपनी दिवंगत पुत्री “सरोज” की स्मृति में लिखी है| ये पंक्तिया एक पिता का अपनी पुत्री के लिए विलाप है| कवि अपने विलाप में कभी अपनी स्वर्गीय पत्नी को याद करता है तो कभी अपनी बेटी को| कवि को दुल्हन के रूप सजी अपनी बेटी में अपनी पत्नी के अनुपम सौंदर्य की छवि दिखाई देती है| फिर कवि को उनकी स्वर्गीय पत्नी की विरह वेदना भी पीड़ा देने लगती है|
- ‘जल उठे फिर सींचने को’ इस पंक्ति का काव्य सौंदर्य स्पष्ट करें।
उत्तर: कवि इन पंक्तियों में लालच और स्वार्थ में डूबे इस समाज को इससे बहार निकलने के लिए प्ररित करते हैं| कवि लोगो को दुःख और निराशा के भवंर से बाहर निकल कर पुन: समाज में मानवतावादी मूल्यों की स्थापना करने का आवाहन करते हैं| कविता की ये पंक्तियाँ घोर निराशा के बाद मनोबाल को बढ़ाती और प्रेरित करती हुईं हैं| इन पंक्तियों में कवि उठकर संघर्ष करने की प्रेरणा देते हैं|
- कविता में ’ठग-ठुकरों’ शब्द क्या तात्पर्य हैं?
उत्तर: ‘ठग – ठुकरों’ शब्द का उपयोग कवि ने पूंजीपति और धोखेबाज़ लोगो के लिए किया है| कवि का आशय है की समाज में हर तरफ गद्दार और स्वार्थी लोग बैठे हुए हैं जो गरीब मजदूर और किसानो का शोषण करते हैं| वो किसी को भी आगे नहीं बढ़ने देते हैं| वो अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए कुछ भी कर सकतें हैं| इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ऐसे लोगो से सजग रहने का आवाहन कर रहें हैं|
- कविता के अनुसार अपने शब्दों में सरोज के नए नवेले रूप का वर्णन करें ।
उत्तर: निराला जी ने अपनी इस कविता में अपनी पुत्री सरोज के सौंदर्य का बहुत ही अद्भुत और मोहक वर्णन किया है| कवि को अपनी स्वर्गीय पत्नी का दिव्य सौंदर्य अपनी पुत्री में उतरता दिखाई दे रहा है| निराला जी कहतें हैं कि “सरोज दुल्हन के वेश में अपनी माता की ही छाया लग रही है| जब वह हसती है तो ऐसा लगता है जैसे दामिनी उसके होठों के मध्य फंसी हुई हो| ख़ुशी के कारण उसकी आँखों में दिव्य चमक है| जैसे नवविवाहित दुल्हन अपनी आँखें लज्जा से झुका लेती है ऐसे ही उसकी आँखे भी झुकी हुईं हैं और उसकी आँखों की दिव्य चमक फैलकर उसके होठों तक आ गयी है|”