Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Aroh Chapter 14 Pahelwan Ki Dholak
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CBSE Class 12 Hindi Aroh Important Questions Chapter 14 Pahelwan Ki Dholak
Study Important Questions for Class 12 Hindi पाठ – 14 पहलवान की ढोलक
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)
- गाँव में कौन सी बीमारियांफैली हैं?
उत्तर: गाँव में हैजा और मलेरिया नाम की बीमारियांफैली है|
- गाँव किसकी तरह कांप रहा है?
उत्तर: गाँव में हैजा और मलेरिया जैसी बीमारियाँ फैली हुईं हैं| जिसके कारण गाँव में भय और चिंता का माहौल है| गाँव एक डरे हुए बच्चे की तरह काँप रहा है|
- लेखक ने कौन से मौसम और वातावरण का वर्णन किया है?
उत्तर: लेखक ने अमावस्या की अँधेरी रात और सर्दी के मौसम में ठंडे वातावरण का वर्णन किया है|
- लुट्टन किस अवधि में ढोलक बजाय करता था?
उत्तर: लुट्टन शाम से लेकर प्रात: काल तक ढोलक बजाया करता था|
- नौ वर्ष की आयु में किसके माता-पिता की मृत्यु हो गई थी?
उत्तर: लुट्टन जब 9 वर्ष का था तब बचपन में ही उसके माता-पिता की मौत हो गयी थी|
लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)
- गाँव के लोगो की आर्थिक स्थिति कैसी थी?
उत्तर: गाँव के लोगो की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी| वो लोग टूटी-फूटी झोपड़ियों में बहुत ही मुश्किल हालात में रहते थे|
- लेखक ने गाँव की रात्रि पर क्या टिप्पणी की है|
उत्तर: लेखक ने गाँव की रात्रि का वर्णन करते हुए उसका मानवीकरण किया है| लेखक ने लिखा है कि गाँव में हैजा और मलेरिया फैला हुआ था| लोग इस महामारी से मर रहे थे| पूरा गाँव भय से काँप रहा था| ऐसे में रात में ओस की बूंदों को देखकर प्रतीत होता था, जैसे रात भी आंसू बहा रही हो|
- ढोलक से आती आवाज़ कैसी प्रतीत होती थी?
उत्तर: ढोलक की आवाज़ कुछ इस प्रकार प्रतीत होती थी “चाट धा, गिड़ धा अर्थात् आ जा भिड़ जा, चटाक चाट धा यानी उठाकर पटक दे, चाट गिढ़ धा यानी मत डरना|”
- लुट्टन बड़ा होकर पहलवान क्यों बनना चाहता था?
उत्तर: लुट्टन के माता-पिता की मौत जब वो 9 साल का था तब ही हो गयी थी| लुट्टन का पालन-पोषण उसकी सास ने किया था| गाँव के लोगो ने उसकी सास पर बहुत अत्याचार किया थे और उन अत्याचारों का बदला लेने के लिए लुट्टन पहलवान बनना चाहता था|
- चाँद सिंह कौन था और चाँद सिंह को किसने चुनौती दी थी?
उत्तर: चाँद सिंह गाँव का मशहूर पहलवान था| चाँद सिंह को लुट्टन ने चुनौती दी थी|
लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक )
- लुट्टन का पालन – पोषण किसने किया था और वह क्यों प्रसिद्द था?
उत्तर: लुट्टन के माता-पिता की मौत बचपन में ही हो गयी थी| उसका पालन-पोषण उसकी विधवा सास ने किया था| लुट्टन गाँव में बहुत प्रसिद्द था क्योंकि उसने गाँव के ही एक मशहूर पहलवान चाँद सिंह को हराया था|
- राजा साहब ने कुश्ती बीच में ही क्यों रुकवा दी?
उत्तर: राजा साहब को कुश्ती की अच्छी जानकारी थी| चाँद सिंह के बारे में राजा साहब अच्छी तरह जानते थे और उन्होंने ही चाँद सिंह को उपाधि भी दी थी| राजा साहब ये भी जानते थे कि लुट्टन एक नया खिलाड़ी है और पहली बार दंगल में उतर रहा है| इसलिए राजा साहब ने बीच में ही कुश्ती रुकवा दी|
- किसने लुट्टन सिंह का विरोध किया और क्यों?
उत्तर: उच्च जाती के मैनेजर और राज पंडितो ने लुट्टन सिंह का विरोध किया था| लुट्टन सिंह निम्न जाती से था और उच्च जाती के कुछ लोग नहीं चाहते थे कि निम्न जाती का कोई पहलवान राज-पहलवान बने| वो चाहते थे कि कोई ठाकुर या ब्राह्मण ही राज-पहलवान बने|
- पहलवान ने अपने बेटों को क्या सिखाया था?
उत्तर: पहलवान ने अपने बेटों को दंगल में उतरने के बाद सबसे पहले ढोलक को प्रणाम करना सिखाया था| पहलवान अपने बेटों से ढोलक की आवाज़ को ध्यान पूर्वक सुनने को भी कहता था| उसने अपने बेटों को अपने मालिक को खुश रखने के उपाय भी सिखाये थे|
15.आजकल गांव मे अखाड़ों की कमी क्यों होती जा रही है?
उत्तर: लोगो के पास अब मनोरंजन के नए साधन हैं और उनके पास अब समय भी ज़्यादा नहीं है| जिस कारण खेल के प्रति अब लोगो में उतनी रूचि नहीं रही| कुश्ती में किसी को कोई लाभ नहीं दिखाई देता इसलिए धीरे-धीरे अखाड़े कम होते जा रहें हैं|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक )
- लेखक ने महामारी के प्रकोप के दृश्य का कैसे वर्णन किया है?
उत्तर: लेखक कहता की महामारी के दौर में गाँव में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में बहुत भिन्नता दिखाई देने लगी थी| सूर्योदय के समय कोलाहल और हाहाकारी रुदन होने के बाद भी लोगो के चेहेरे पर जीवन की आशा दिखाई देती थी| लोग एक दुसरे को सहानुभूति जताकर एक दुसरे की हिम्मत बढ़ाते थे और एक दुसरे के सुख-दुःख में शामिल होकर एक दुसरे का सहारा बनते थे| परन्तु सूर्यास्त के समय माहौल एकदम बदल जाता था| गाँव में एक भयावह निरसता छा जाती थी| लोग अपने घरों के भीतर ही दुबक जाते थे| माताएं बिमारी से दम तोड़ते अपने बच्चो को बेटा कहकर विदा करने की हिम्मत भी खो चुकी थी| ऐसे में रात में सिर्फ पहलवान की ढोलक की आवाज़ ही सुनाई पड़ती थी| पहलवान की ढोलक की आवाज़ ही थी जो इस महामरी को चुनौती देती प्रतीत होती थी|
- लुट्टन किसे अपना गुरु मानता था? और क्यों?
उत्तर: लुट्टन ने कुश्ती के दांव-पेंच किसी गुरु से नहीं सीखे थे बल्कि उसने कुश्ती के दांव-पेंच ढोलक से ही सीखे थे| जब ढोलक बजती थी तो ढोलक की हर थाप लुट्टन को कुछ सिखाती थी और आदेश देती थी| ढोलक की इस आवाज़ से ही लुट्टन ने दांव-पेंच सीखे थे| जब भी ढोलक बजती थी तो लुट्टन की नसे उत्तेजित हो जाती थी और ढोलक की आवाज़ सुनकर लुट्टन विरोधी को पछाड़ने को मचल उठता था| इसलिए लुट्टन ढोलक को ही अपना गुरु मानता था|
- गाँव के लोगों के ऊपर किसकी आवाज़ का प्रभाव पड़ता था और क्यों ?
उत्तर: लुट्टन की ढोलक की आवाज का गाँव के लोगो पर प्रभाव होता था| गाँव में महमारी से रोज कोई ना कोई मर रहा था| जिस कारण गाँव के लोग शोकाकुल भी थे और डरे हुए भी| पुरे गाँव में मौत का सन्नाटा छाया हुआ था| ऐसे समय में जब लुट्टन ढोलक बजाता था तो गाँव वालो को उस ढोलक की आवाज़ से जीने की और इस महामारी से लड़ने की हिम्मत मिलती थी| गाँव में महामारी फैलने के बाद लुट्टन के बेटो की भी बिमारी से मौत हो गयी थी| लुट्टन ने अपने दुःख को कम करने के लिए रोज ढोलक बजाकर इस महामरी को चुनौती देना शुरू कर दिया था| जब लुट्टन ढोलक बजाता था तो गाँव वालो का साहस भी बढ़ता था|
- लेखक, सितारों के माध्यम से क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर: लेखक ने तारो का मानवीकरण करते हुए उनकी संवेदना का वर्णन किया है| लेखक ने कहा है कि महामारी से मरते गाँव वालो की पीड़ा को दूर करने वाला कोई नहीं दिखाई दे रहा था| तारे भी गाँव वालो के दुःख से दुखी थे| आकाश से यदि कोई तारा टूटकर धरती पर आना भी चाहता था तो उसका प्रकाश और शक्ति धरती पर पहुँचने से पहले ही ख़त्म हो जाती थी| लेखक का तात्पर्य है कि स्थिर तारे चमकदार होतें हैं जबकि टूटे तारे ख़त्म हो जाते हैं| इस तरह लेखक ने अपने शब्दों से तारो की मानवीय संवेदनाओं का और उनकी शक्ति क वर्णन किया है|
- फणीश्वर नाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए|
उत्तर: फणीश्वर नाथ रेणु का जन्म 4 मार्च 1921 को अररिया, बिहार के हिंगना गाँव में हुआ था | उनकी शिक्षा भारत और नेपाल में हुई थी | 1942 में उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से की थी| ये स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रीय रहे| रेणु को अपने उपन्यास “मैला आँचल” से हन्दी साहित्य में बहुत ज़्यादा ख्याति मिली| अपने प्रथम उपन्यास ‘मैला आंचल’ के लिये उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया। परती परिकथा, जूलूस, दीर्घतपा, कितने चौराहे, कलंक मुक्ति इत्यादि इनके द्वार लिखित प्रमुख उपन्यास हैं| इसके अलावा इन्होने ठुमरी, एक आदिम रात्रि की महक, अग्निखोर आदि कथा संग्रह भी लिखे| पञ्च लाईट और मारे गए गुलफाम इनके द्वारा रचित बहुत ही प्रसिद्द कहानियां हैं| इनकी मृत्यु 11 अप्रैल 1977 में हुई|