Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Aroh Chapter 15 Charlie Chaplin Yaani Hum Sab
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Charlie Chaplin Yani Hum Sab, written by Vishnu Khare, is chapter 15 of the Class 12 Hindi book Aroh. In this chapter, Vishnu Khare discussed the impact of Charlie Chaplin, a well-known cinema performer. This chapter, which was written to honour Charlie Chaplin on his 100th birthday, explores not only his influences on the field of art but also aspects of his life. In the end, there are certain questions related to the chapter, which gives students an idea of the questions that might be asked in the board exams. Preparing these questions, in addition to the important questions given by Extramarks, can give the students an edge in the final exams.
CBSE Class 12 Hindi Aroh Important Questions Chapter 15 Charlie Chaplin Yaani Hum Sab
Study Important Questions Class 12 Hindi Chapter 15 – चार्ली चैपलिन और हम सब
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)
- ”भारतीय जनता ने उस ‘फिनोमेनन‘ को इस तरह स्वीकार किया जैसे बत्तख पानी को|“ इस पंक्ति में किसके रूप की चर्चा की जा रही है?
उत्तर: यहाँ लेखक चार्ली चैपलिन की अभिनय और जीवन शैली की चर्चा कर रहे हैं| लोग उनकी शैली को देखकर ही हँस उठते थे |
- राज कपूर ने किस बात की परवाह नहीं की थी?
उत्तर: राजकपूर ने खुद पर लगने वाले चार्ली चैपलिन की अभिनय शैली की देखादेखी करने के आरोपों की परवाह नहीं की थी|
- किस वर्ग के दर्शक चार्ली की फिल्मो को देखते हैं?
उत्तर: समाज के हर वर्ग के लोग चार्ली की फिल्मो को देखते हैं| उनके प्रशंशको में आम आदमी से लेकर महान प्रतिभाशाली व्यक्ति तक भी शामिल हैं |
- चार्ली को अपनी फिल्मो में ज़्यादा-से-ज़्यादा मानवीय क्यों होना पड़ता था?
उत्तर: चार्ली की फ़िल्में बिना आवाज़ की होती थी, वो अपनी फिल्मो में केवल अपने शारीरिक हाव-भाव से अपनी भावनाएं व्यक्त करते थे| इसलिए चार्ली को अभिनय करते समय ज़्यादा-से-ज़्यादा मानवीय होना पड़ता था|
- ‘चार्लीज़ टिली’ का क्या अर्थ है?
उत्तर: ‘चार्लीज़ टिली’ का अर्थ चार्ली के कारनामों का अनुसरण करना है|
लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)
- चार्ली की फिल्मो को नापसंद वाले दर्शक किस वर्ग से थे?
उत्तर: जो लोग वर्ण, जाती और धर्म के भेदभाव को मानते थे और इसे ख़त्म नहीं करना चाहते थे| उन लोगो को चार्ली की फ़िल्में नापसंद थीं|
- चार्ली स्वयं पर सबसे ज़्यादा कब हसते थे?
उत्तर: चार्ली जब स्वयं के प्रति गौरव की अनुभूति करते हैं तो तब वो सबसे ज्यादा हसते हैं| उस समय पर वो आत्मविश्वा से भरे होतें हैं और स्वयं को शक्तिशाली और समाज के सबसे उत्कृष्ट वर्ग को मजबूर स्थिति में देखतें हैं|
- चार्ली के बारे में लोगो की क्या सोच थी?
उत्तर: जब लोग चार्ली को देखते थे तो उन्हें चार्ली में अपनी ही झलक दिखाई देती थी| वो भी दूसरों को चार्ली की तरह हँसानाचाहते थेI चार्ली को देखने वालो को एसा लगता था जैसे वो खुद भी चार्ली ही हैं|
- लेखक ने कला और सिद्धांत के विषय में क्या टिप्पणी की है?
उत्तर: लेखक के अनुसार कला किसी दायरे में बंधी हुई नहीं होती बल्कि वो स्वतंत्र होती है| कला किसी के सिद्धांतो से उत्त्पन्न नहीं होती बल्कि कला अपने सिद्धांत खुद बनाती है| कला को किसी एक परिवेश में समेटकर नहीं रख सकते|
- राजकपूर ने कौनसी फिल्म बनाई और और इस फिल्म की अभिनय शैली पर किनका प्रभाव था?
उत्तर: राजकपूर ने “आवारा” फिल्म निर्मित की थी| जिस फिल्म के नायक को हंसी का पात्र बनाया गया था| भारतीय फिल्म उद्योग में राजकपूर के द्वारा पहली बार ये प्रयोग किया गया था| ये फिल्म उन्होंने चार्ली चैपलिन की अभिनय शैली से प्रभावित होकर ही बनाइ थी|
लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)
- फिल्म कला को लोकतान्त्रिक क्यों बनाना चाहिए?
उत्तर: फिल्मे समाज का दर्पण होती हैं और समाज में परिवर्तन करने में भी सक्षम होती हैं| इसलिए फिल्मो को लोकतान्त्रिक बनाना चाहिए| ताकि फिल्मो से समाज में व्याप्त अमीरी-गरीबी, रंगभेद, जातिवाद, मज़हबी भेदभाव जैसी बुराइयों को समाप्त किया जा सके|
- लेखक चार्ली चैपलिन की फिल्मो का प्रशंशक क्यों हैं?
उत्तर: चार्ली चैपलिन की फिल्मो में कोई भेदभाव नहीं होता था| चार्ली की फिल्मो में आम आदमी को ही नायक के रूप में दिखाया जाता था| उनकी फिल्मे गरीब और शोषित को प्रेरणा देती थी| इसलिए लेखक चार्ली की फिल्मो के प्रशंशक हैं|
13 लेखक क्यों एसा कहते हैं कि “चार्ली की फिल्मे अन्य फिल्मो से ज़्यादा सफल रहीं”?
उत्तर: चार्ली ने अपनी फिल्मों में एक गरीब और आम आदमी को नायक के रूप में प्रदर्शित किया| उनकी फिल्मो में गरीब आदमी मजबूर नहीं बल्कि सक्षम दिखाया जाता था| इसलिए हर आम आदमी को उनकी फिल्मेंदेखकर आत्मिक आनंद की अनुभूति होती थी| चार्ली की फिल्मे रंगभेद, जातिवाद और साम्प्रदायिकता की सीमाओं को तोड़ने में सफल रहीं और सभी सांस्कृतिक और भाषाई सीमाओं को लांघकर उनकी फिल्मे पुरे विश्व में लोकप्रिय हुईं| ऐसी सफलता किसी और की फिल्मो को नहीं मिल पायी|
- भारत में चार्ली कितने प्रभावी रहें?
उत्तर: चार्ली की फिल्मो ने भौगोलिकऔर सांस्कृतिक सीमाओं को लांघते हुए पुरे विश्व में सफलता प्राप्त की| भारत में उनकी फिल्मों ने आम आदमी से लेकर अति विशिष्ट आदमी तक को हंसाया| भारतीय फिल्म निर्माण उद्योग ने भी उनकी शैली का अनुसरण किया है| भारत में चार्ली चैपलिन को हमेशा याद रखा जायेगा|
- चार्ली का बचपन कैसा बीताथा?
उत्तर: चार्ली का बचपन बहुत ही ज्यादा कष्टों में बिता था| चार्ली के माता-पिता उनके बचपन में अलग हो गए थे| चार्ली अपनी माँ के साथ रहते थे, जो एक दुसरे दर्जे की स्टेज अभिनेत्री थी| चार्ली की माता की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी| बाद में वो पागल भी हो गयीं थी| इसलिए चार्ली को कभी एक सामान्य और स्वस्थ पारिवारिक वातावरण नहीं मिल पाया| सामंतवादी सोच, अमीरी-गरीबी और रंगभेद से ग्रसित इस समाज ने चार्ली का बार-बार तिरस्कार किया|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)
- आपके अनुसार किन फिल्मो के निर्माण में अधिक मेहनत की ज़रूरत होती है और क्यों?
उत्तर: मूक फिल्मो में बहुत ज्यादा परिश्रम और कलात्मकता की ज़रूरत होती है| क्योंकि इन फिल्मो में संवाद नहीं होते| स्वाक फिल्मों में कलाकार संवाद बोलकर अपने विचारों और भाव की अभिव्यक्ति कर सकता है| लेकिन मूक फिल्मो में कलाकार को अपनी शारीरिक भाव-भंगिमाओ और चेहरे के भाव से ही अपने विचार अभिव्यक्त करने होतें हैं| बिना बोले दूसरों तक अपने विचार पहुँचाना बहुत ही कठिन कार्य होता है|
- लेखक ने ऐसाक्यों कहा कि अगले 50 वर्षो तक चार्ली चैपलिन के बारें में बहुत कुछ कहा जाता रहेगा?
उत्तर: लेखक के इस विचार की के पीछे निम्न कारण हैं –
- अपनी फिल्मो में मुसीबत से घिरा चार्ली का चरित्र हर दर्शक को आत्मीय लगता था| चार्ली की अभिनय शैली और कला की इस सार्वभौमिकता के मूल कारणों की तलाश अभी भी पूरी तरह से नहीं हो पायी है|
- विकासशील देशों जहाँ अभी तक टेलीविजन या सिनेमा नहीं पहुँचा था, अब वहाँ भी ये तकनीक पहुँच रही है| और इस तरह उन देशो में भी चार्ली के लिए एक बड़ा दर्शक वर्ग तैयार बैठा है|
- चार्ली की फिल्मो की कुछ ऐसी रिल्स भी मिली हैं जो फिल्मे प्रदर्शित नहीं हुती थीं और जिनके बारे में कोई नहीं जानता| अभी ये फिल्मे भी दर्शको के सामने आएँगी|
- लेखक के अनुसार चार्ली भारतीय दर्शकों के ऊपर कितने प्रभावशाली हैं?
उत्तर: लेखक के अनुसार भारत में दर्शको ने चार्ली के अंदाज़ को दिल से अपनाया है| दया से हास्य का परिवर्तन और फिर हास्य से दया का परिवर्तन, इस ‘फिनोमेनन’ को भारतीय दर्शको ने ऐसे अपनाया है जैसे बत्तख पानी को|
- “विष्णु खरे” का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए|
उत्तर: विष्णु खरे का जन्म 2 फरवरी 1940 में छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश में हुआ था | विष्णु जी एक महान कवि , साहित्यकार, अनुवादक ,तथा फ़िल्म समीक्षक, पत्रकार व पटकथा लेखक थे| इन्होने हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ में लेखन कार्य किया है| वे साहित्य अकादमी में कार्यक्रम सचिव भी रहे और हिन्दी दैनिक नवभारत टाइम्स के लखनऊ, जयपुर, तथा नई दिल्ली में सम्पादक भी रहे। विष्णु खरे ने पाँच कविता संग्रह प्रकाशित किया जिनमें पथांतर सबसे नया है। उन्होंने आलोचना की पुस्तक “आलोचना की पहली किताब” भी प्रकाशित की। विष्णु खरे जी के द्वारा रचित प्रमुख कविताएँ “लड़कियों के बाप, अगले सबेरे, अकेला आदमी, गर्मियों की शाम, वापस” आदि हैं| विष्णु खरे जी को हिंदी साहित्य अकादमी सम्मान, शेखर सामान, मैथली शरण गुप्त सम्मान और रघुवीर सहाय सम्मान आदि सम्मानों से भी सम्मानित किया गया| विष्णु खरे का निधन 19 सितम्बर 2018 में ब्रेन हेमरेज के कारण हो गया था ।
- चार्ली चैपलिन ने अपनी आत्मकथा में ऐसा क्यों लिखा कि “वसंत की वह बेलौस दोपहर और वह मज़ाकिया दौड़ कई दिनों तक मेरे साथ रही”?
उत्तर: ये पंक्ति चार्ली के जीवन में घटित हुए एक प्रसंग की तरफ इशारा करती है| चार्ली के बचपन में उनके घर के सामने एक कसाई-खाना था| जहाँ रोज सुबह जानवारो को लाया जाता था| एक दिन एक भेड़ वहाँ से जान बचाकर बाहर भाग गयी| कसाई खाने के कर्मचारियों ने काफी भाग-दौड़ के बाद उसे पकड लिए और वापस ले गए| चार्ली जानते थे कि अब उस भेड़ के साथ क्या होगा? चार्ली को उस भेड़ के प्रति सहानुभुत जागृत हो गयी थी| चार्ली रोते हुए अपनी माँ के पास गए और बोले कि “वो लोग उसे मार डालेंगे”| चार्ली ने इस घटना को याद करते हुए अपनी आत्मकथा में लिखा था “वसंत की वह बेलौस दोपहर और वह मज़ाकिया दौड़ कई दिनों तक मेरे साथ रही”|