Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Vitan Chapter 2 – Jujh
The NCERT books and PDFs are widely considered the most popular books post-pandemic Covid 19 by school students across India. . For every topic, including Hindi Vitan Class 12, the NCERT books comprise appropriate notes to help learners get a better grasp of the concepts taught in Hindi and complete the chapter end exercises comfortably.
When it comes to preparing for the board examinations, students usually find that using NCERT books is the best option to learn with ease. In this article, we will walk you through some of the important questions of Class 12 Hindi Vitan Chapter 2 – Jujh.
The second chapter, Jujh, of Hindi Vitan is an extract from the novel Jhobi, originally written by Dr. Anand Yadav in Marathi. Keshav Pratham Veer was the one who translated the book into Hindi. This story is a narrative about the author living in a village with his parents when he was younger. In contrast to his father, who had a very different outlook on education, he was enthusiastic about learning new things from his childhood. His farmer father believed that attending school was a sheer waste of time, and he did not encourage his son to pursue education. Instead, he preferred that his son assist him in farming. .
The author was forced to forgo his education and take up farming activities where his father worked. Later he told his mother about his interest in attending school. They decided to go to Dattaji Rao and ask him to convince his father to start his education by letting him attend school. .
CBSE Class 12 Hindi Vitan Important Questions Chapter 2 – Jujh
Study Important Questions of Class 12 Hindi पाठ २ – जूझ
अति लघु उत्तरीय प्रश्न: (1 अंक)
- नायास तथा बालिस्टर का शब्दार्थ लिखिए।
उत्तर: नायास – अनुत्तीर्ण
बालिस्टर – बैरिस्टर, अधिवक्ता, वकील
- लेखक का मन कहाँ जाने के लिए तड़पता था?
उत्तर: लेखक का मन पाठशाला में जाने के लिए तड़पता था।
- गाँव में किसका कोल्हू सबसे पहले शुरू होता था।
उत्तर: गाँव में लेखक के पिता का कोल्हू सबसे पहले शुरू होता था।
- मास्टर लेखक को को क्या कहकर पुकारते थे?
उत्तर: मास्टर लेखक को ‘आनंदा’ कहकर पुकारते थे।
- कक्षा में लेखक को मराठी कौन पढ़ाता था?
उत्तर: कक्षा में लेखक को मराठी, न. व. सौंदगेलकर नाम के मास्टर पढ़ाते थे|
लघु उत्तरीय प्रश्न: (2 अंक)
- लेखक के पिता ने लेखक को पाठशाला में किसके कहने पर पढ़ने भेजा?
उत्तर: लेखक के पिता ने लेखक को दत्ता जी राव सरकार के कहने पर पाठशाला में पढ़ने भेजा।
- पाठशाला में बच्चे किस के डर से घर से पढ़ कर आने लगे थे और क्यों?
उत्तर: मंत्री मास्टर के डर से बच्चे पाठशाला में घर से पढ़ कर आने लगे थे क्योंकि कोई भी लड़का अगर शरारत करता था तो मास्टर जी उसको सज़ा देते थे|
- लेखक अपनी कविता लिखने के बाद किसे सुनाते थे?
उत्तर: लेखक अपनी कविताओं को लिखने के बाद न. व. सौंदलेकर मास्टर को सुनाते थे|
- लेखक को ऐसा क्यों लगता था कि कक्षा में वसंत पाटिल की जगह उसको मोनिट्री मिलनी चाहिए?
उत्तर: लेखक की कक्षा का मोनिटर वसंत पाटिल को बनाया गया था| वसंत पाटिल लेखक से छोटा भी था और लेखक कक्षा पाँच में उससे पहले आया था| इसलिए लेखक को लगता था कि कक्षा में वसंत पाटिल की जगह कक्षा का मोनिटर उसे बनाया जाना चाहिए था|
- कक्षा में लेखक की किसके साथ अच्छी मित्रता हो गयी थी?
उत्तर: लेखक की वसंत पाटिल नाम के लड़के से कक्षा में अच्छी मित्रता हो गई थी। दोनों गणित में अच्छे थे और एकसाथ ही पढ़ते थे|
लघु उत्तरीय प्रश्न: (3 अंक)
- लेखक के मन में क्या विचार घूम रहा था?
उत्तर: लेखक के मन में अक्सर इस प्रकार के विचार चलते रहते थे ‘जीवनभर खेत में काम करने के बाद भी उसके हाथ कुछ नहीं आयेगा। जो बाबा के समय में था, वह दादा के समय में नहीं रहा होगा। यह खेती हमें एक खाई की तरफ ढकेल रही है। पढ़ लूंगा तो अच्छी नौकरी मिल जाएगी, चार पैसे हाथ में होंगे, विठोबा अन्ना की तरह कोई कारोबार कर पाउँगा’।
- किसने लेखक को कविता लिखने के लिए प्रेरित किया और लेखक ने कविता लिखना कैसे सीखा?
उत्तर: सौंदगेलकर मास्टर जी ने लेखक को कविता लिखने की प्रेरणा दी। उनके संपर्क में आने पर पहले लेखक ने कविताओं का उच्चारण करना सिखा फिर वो धीरे-धीरे कविताओं को अलग-अलग लय में भी गाने लगा। पहले तो लेखक कविता लिखने के लिए यूँ ही तुकबंदी करता था लेकिन फिर वो अभ्यास करते-करते अच्छी कविता लिखना सीख गया।
- लेखक के दादा गाँव में अपना कोल्हू सबसे पहले क्यों शुर कर देते थे?
उत्तर: लेखक के दादा का मानना था कि सबसे पहले कोल्हू शुरू कर देने से उन्हें गुड़ के अच्छे दाम मिल जाते हैं। बाद में जब सभी कोल्हू शुरू हो जातें हैं तो गुड़ ज्यादा बनने लगता हैं और गुड के दाम गिर जातें हैं| इसलिए लेखक के दादा अपना कोल्हू गाँव में सबसे पहले शुरू कर देते थे|
- कवितायें गाना शुरू करने के बाद से लेखक को अब कौन सी बात नहीं खटकती थी?
उत्तर: खेती का काम शुरू करने पर लेखक को अक्सर अकेलापन महसूस होता था| लेकिन जब से लेखक ने कविताओं का गायन शुरू किया था तो वो खेत पर काम करते समय कवितायें गुनगुनाता रहता था और उसे अकेलापन नहीं खटकता था|
- लेखक कहाँ-कहाँ कविताएँ लिखता था?
उत्तर: लेखक कविता लिखने के लिए हर समय अपने खीसे में कागज़ और पेन्सिल रखता था। लेकिन अगर कभी कागज़ या पेन्सिल नहीं होती थी तो लेखक भैंस की पीठ पर लकड़ी से या किसी पत्थर की शिला पर किसी कंकड़ से रेखा खींचकर कवितायें लिखता था| फिर वो उन कविताओं को अच्छी तरह से याद करके उन कविताओं को मिटा देता था| घर जाकर लेखक उन कविताओं को कागज़ पर लिख दिया करता था|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न: (5 अंक)
- लेखक के चरित्र की क्या विशेषताएं थी।
उत्तर: इस कहानी को पढने के बाद पता चलता है कि लेखक एक साहसी व्यक्ति था| लेखक का जन्म एक गाँव में किसान परिवार में हुआ था| लेखक पढना चाहता था लेकिन लेखक के पिता को पढ़ाई महत्वहीन लगती थी| लेखक के पिता का मानना था कि पढ़ाई से कुछ नहीं होगा हमें रोजी-रोटी खेती करके ही प्राप्त होगी| इसलिए शुरू में लेखक को अपनी पढ़ाई के लिए अपने पिता का विरोध भी सहना पड़ा| लेकिन लेखक ने साहस के साथ इन सभी बाधाओं को पार किया और अपनी पढ़ाई का मार्ग खोला| लेखक ने खेती के काम के साथ ही पढ़ाई में भी मेहनत की और कवितायें लिखना सीखा| लेखक अपनी एकाग्रता और साहस के कारण ही इन सब बाधाओं को पार करके अपनी पढ़ाई को शुरू कर पाया| ये लेखक के साहसी चरित्र का ही परिणाम था कि वो अपनी पारिवारिक, आर्थिक और सामाजिक स्थितियों से लड़ते हुए अपने उद्देश्य में सफल हो सका|
- लेखक को इस बात का ज्ञान कब हुआ कि वह कविता लिख सकता है?
उत्तर: लेखक ने देखा कि सौंदगेलकर मास्टर अपने घर की बेलो पर कवितायें लिखा करते थे| ये देखकर लेखक को लगा कि वो भी इस तरह कविता लिख सकता है| लेखक को कवितायें लिखने की प्रेरणा सौंदगेलकर मास्टर से ही मिली| सौंदगेलकर मास्टर ने भी लेखक की प्रतिभा को निखारने के लिए प्रयास किया| सौंदगेलकर मास्टर लेखक को महान कवियों की कहानी सुनाया करते थे और उसको उनकी कवितायें सुनाया करते थे| पहले लेखक ने उन कविताओं का सही उच्चारण सीखा फिर लेखक उन्हें अलग-अलग धुनों में गाने भी लगा| इस तरह लेखक ने शुरू में तुकबंदी करके कवितायें लिखनी शुरू की और फिर अभ्यास करते करते लेखक का आत्मविश्वास बढ़ता गया और लेखक एक श्रेष्ठ कवि बन गया|
- श्री सौंदगेलकर जी के संपर्क में आकर लेखक के जीवन में क्या बदलाव आये?
उत्तर: श्री सौंदगेलकर जी का सानिध्य मिलने पर लेखक की कविताओं के प्रति रूचि जाग गयी थी| कविताओं के प्रति ये रूचि धीरे-धीरे लगाव में बदल गयी| पहले लेखक को अकेला रहना बुरा लगता था| लेकिन अब अकेले होने पर लेखक कविताओं को लिखता और गुनगुनाता था| जिससे लेखक को अकेलापन महसूस ही नहीं होता था| कविताओं से लेखक को इतना प्रेम हो गया था कि अब लेखक को अकेला रहना अच्छा लगने लगा था| क्योंकि अकेले रहकर वो कविताएं लिख पाता था| लेखक को अभिनय का भी शौक था| अकेले रहकर अब लेखक रुचिपूर्ण कार्य कर पाता था, तो लेखक को अब अकेले रहने में आज़ादी का अनुभव होता था| कविताओं से लेखक के प्रेम ने लेखक को बिलकुल बदल दिया था| जो अकेलापन पहले लेखक को खटकता था अब वो ही अकेलापन लेखक को अच्छा लगने लगा था|
- पढ़ाई लिखाई के विषय में दत्ता राव जी, लेखक और लेखक के पिता में से किस के विचार उचित थे? टिप्पणी करें।
उत्तर: पाठ के अनुसार शिक्षा के विषय में लेखक और दत्ता राव जी के विचार थे कि पढ़ाई लिखाई से रोजगार के नए द्वार खुलते हैं| इसके साथ ही पढ़ाई लिखाई के बाद कोई भी अपनी जिन्दगी को और बेहतर बना सकता है| किसी की सोचने समझने की क्षमता पढ़ाई लिखाई से और अच्छी होती है इसलिए पढ़ाई लिखाई का किसी की जिन्दगी में बहुत महत्व है|
जबकि लेखक के पिता की सोच अलग थी| वो पढ़ाई लिखाई को बेकार समझते थे और उनका मानना था कि उनके लिए खेती-बाड़ी ही रोज़गार का सबसे अच्छा साधन है| लेखक के पिता का पूरा जीवन गाँव में बीता था| इसलिए उनकी सोच भी ज्यादा विकसित नहीं हो पायी थी|
पढ़ाई लिखाई से ही किसी को सही और गलत में भेद करने का ज्ञान होता है| और पढ़ाई से ही किसी की विचारधारा विकसित होती है| लेखक और दत्ता राव जी का भी ये ही मानना था| इसलिए शिक्षा को लेकर लेखक और दत्ता राव जी के विचार ही उचित थे|
- श्री सौंदगेलकर मास्टर जी के अध्यापन की विशेषताओं के बारे में लिखें, जिनसे लेखक के मन में कविता के प्रति रुचि जागृत हुई?
उत्तर: श्री सौंदगेलकर जी के अध्यापन की विशेषताएं निम्नलिखित हैं:-
- वह अपने विषय को बहुत ही सुरुचिपूर्ण ढंग से पढ़ाते थे, जिससे बच्चो में उस विषय के प्रति रूचि उत्त्पन्न होती थी ।
- वो कविताओं का पाठ प्रभावशाली तरीके से करते थे, जिससे लेखक को प्रोत्साहन मिलता था।
- उनकी मधुर आवाज़ से काव्य पाठ में एक अलग ही तरंग पैदा हो जाती थी।
- वो छात्रों को उनकी पसंदीदा कविताओं को ही याद करवाते थे।
- वो स्वयं भी बहुत ही आकर्षक कविताओं की रचना करते थे।
- उनकी ये विशेषताएं ही उनके अध्यापन को उत्तम और रुचिकर बनाती थी और लेखक भी इन विशेषताओं से ही प्रभावित था|