Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Chapter 3 – Ateet Me Dabe Panv
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One of the very significant subjects in Class 12 is Hindi. Students need to approach this language class differently than the other subjects because of the nature of the content. When it comes to the student’s academic and professional lives, knowing Hindi as a language plays a significant role in both of those spheres. Because so many individuals in our country do their normal operations in this language, everyone needs to have a working knowledge of at least the most fundamental aspects of the language.
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CBSE Class 12 Hindi Important Questions Chapter 3 – Ateet Me Dabe Panv –
Study Important Questions Class 12 Hindi Chapter-3 अतीत में दबे पाँव
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)
- निम्न शब्दों के शब्दार्थ बताइये,
कमोवेश, अराजकता, तथा प्रतिमान
उत्तर: • कमोवेश -: थोड़ा-बहुत
- अराजकता -: अव्यवस्था
- प्रतिमान -: परछाई
- सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में मिले महाकुण्ड का आकार क्या है?
उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में मिला महाकुण्ड लगभग चालीस फ़ीट लंबा तथा पचीस फ़ीट चौड़ा है।
- सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषता बताइए?
उत्तर: सिन्धु घाटी सभ्यता में किसी विशेष आस्था पद्धति या धर्म की महत्ता देखने को नहीं मिलती है| इसलिए कह सकतें हैं कि सिन्धु घाटी सभ्यता एक धर्मनिरपेक्ष सभ्यता थी|
- सिंधु घाटी सभ्यता में शासन व्यवस्था कैसी थी?
उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता में शासन, शक्ति से नहीं किया जाता था बल्कि ये सभ्यता सामाजिक अनुशासन और सूझ-बूझ द्वारा शासित थी।
- सिंधु घाटी सभ्यता में किसका प्रदर्शन देखने को नहीं मिलता है?
उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता में राजशाही सत्ता तथा राजशाही शक्तियों का प्रदर्शन देखने को नहीं मिलता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)
- सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में मुख्य रूप से कौन-कौन सी चीज़े मिली हैं?
उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में मिट्टी की प्रतिमाएं, खिलौने, मिट्टी के बर्तन, आभूषण, और नाव आदि मिले है।
- लेखक ने सिंधु घाटी सभ्यता को जल-सभ्यता क्यों कहा हैं?
उत्तर: मोहनजोदड़ो के पास से ही सिन्धु नदी बहती थी, जिसने इस सभ्यता को पोषित किया! खुदाई में सिन्धु घाटी सभ्यता के नगरों में बड़े-छोटे स्नानागार, बेजोड़ जल निकासी व्यवस्था और कुँए भी मिले हैं| इसलिए लेखक ने सिन्धु घाटी सभ्यता को जल सभ्यता कहा है|
- टूटे-फूटे खंडहरो के बारें में लेखक के क्या विचार हैं?
उत्तर: लेखक के अनुसार किसी भी सभ्यता के टूटे-फूटे खंडहर उस सभ्यता के इतिहास को सहेज कर रखतें हैं, साथ ही वो कभी उनमे धड़कने वाली ज़िंदगियों का भी प्रतीक होतें हैं|
- सिंधु घाटी सभ्यता की खुदाई में मिली लिपि किस प्रकार की है?
उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता में मिली लिपि, चित्रलिपि है। इस लिपि को अभी तक समझा या पढ़ा नहीं जा सका है। इसलिए आज तक लोग इस लिपि के ज्ञान से अनभिज्ञ हैं।
- सिंधु घाटी सभ्यता में बहुत से अवशेष सही स्थिति में मिले हैं, क्यों?
उत्तर: सिन्धु घाटी सभ्यता की खुदाई में बहुत से अवशेष सही स्थिति में मिले हैं क्योंकि उस जगह की जलवायु और वातावरण के कारण इन अवशेषों को ज़्यादा नुकसान नहीं पहुँचा| वहाँ किये गये मजबूत निर्माण ने भी इन अवशेषों को सहेज कर रखा|
लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)
- सिंधु घाटी सभ्यता में सबसे ज़्यादा महत्त्व किस चीज़ का था?
उतर: सिंधु घाटी सभ्यता में कला सबसे महत्वपूर्ण थी। नगर निर्माण एवं वास्तुकला के अलावा वहाँ के लोग चित्रकारी, पत्थरों को तराशने, और मूर्तिकला में भी माहिर थे|
- सिंधु घाटी सभ्यता में पीने के पानी की व्यवस्था कैसी थी?
उत्तर: सिन्धु घाटी सभ्यता में पीने के पानी की एक उत्कृष्ट व्यवस्था देखने को मिलती है| नगर में जगह-जगह पीने के पानी के लिए कुँए बनाये गये थे| इन कुओं का निर्माण पक्की इंटों से किया गया था, जिस कारण ये मजबूत भी थे|
- सिंधु घाटी सभ्यता में जल निकासी की व्यवस्था कैसी थी?
उत्तर: सिन्धु घाटी सभ्यता में एक उन्नत एवं उत्कृष्ट जल निकासी व्यवस्था थी। प्रत्येक घर मे स्नानागार बने थे। और पुरे नगर में नालियों का निर्माण किया था जो एक बड़े नाले से जुड़ीं होती थी| इस तरह घरों का गंदा पानी इन नालियों से होते हुए बड़े नाले में चला जाता था| नगर की आधिकांश नालियां ढकी हुईं होती थी|
- लेखक ने सिंधु घाटी सभ्यता को अपने किस कथन में दुनिया की छत कहा है?
उत्तर: लेखक ने निम्न कथन में सिंधु घाटी सभ्यता को दुनिया की छत कहा है -:
यह तो सच है कि यहाँ किसी आँगन की टूटी-फूटी सीढ़ियां अब आपको कहीं नहीं ले जायेंगी, वे आकाश की तरह अधूरी रह जाती है। लेकिन उन अधूरे पायदानों पर खड़े होकर यह अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनिया की छत पर है, वहाँ से आप इतिहास में नहीं बल्कि उसके पार झांक रहे हैं।
- सिंधु घाटी सभ्यता किस प्रकार की सभ्यता थी?
उत्तर: सिन्धु घाटी सभ्यता एक उन्नत और विकसित सभ्यता थी| खुदाई में मिले अवशेषों से पता चलता है कि ये सभ्यता वास्तुकला, जलनिकासी, पीने के पानी की व्यवस्था, मूर्तिकला, और नगर निर्माण में निपुण एक सुन्दर सामाजिक रचना वाली सभ्यता थी|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)
- सिंधु घाटी की सभ्यता को मानव सभ्यताओं में सबसे विकसित सभ्यता क्यों माना जाता है?
उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता को अब तक खोजी गयी सभी मानव सभ्यताओं में निम्न कारणों से सबसे विकसित सभ्यता माना जाता है|
- इस सभ्यता का प्रथम उद्देश्य सामाजिक विकास तथा सामाजिक व्यवस्था को बनाना था।
- इस सभ्यता में वास्तुकला में एकरूपता, जल निकासी की उत्कृष्ट व्यवस्था, उचित जल व्यवस्था और उत्कृष्ट नगर निर्माण शैली देखने को मिलती है|
- सामाजिक व्यावस्था में अनुशासन था|
- उत्तम सफाई और स्वच्छता की व्यवस्था थी।
- इस सभ्यता की खुदाई में मिले अवशेषों जैसे आभूषण, पकी हुई मिट्टी के बर्तन और पक्की इंटें देखकर पता चलता है कि ये सभ्यता उस समय की सबसे उन्नत और विकसित सभ्यता थी।
- सिंधु घाटी सभ्यता में किसके प्रमाण नहीं मिलते हैं?
उत्तर: इस सभ्यता की खुदाई के अवशेषों में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिलता है जिससे ये सिद्ध होता हो कि यहाँ राजशाही शासन था| इस सभ्यता में एक उन्नत सामाजिक जीवन हेतु हर व्यवस्था थी, लेकिन यहाँ मिले अवशेषों जैसे खंडहरों, मोहरें, मृद भांड या मूर्तियों में कोई भी ऐसा चिन्ह या संकेत नहीं मिला जो किसी राजनैतिक या राजशाही सत्ता के होने को प्रमाणित करता हो|
- सिंधु घाटी सभ्यता का नगर नियोजन क्या दर्शाता है?
उत्तर: सिन्धु घाटी सभ्यता का नगर नियोजन देखकर पता चलता है कि इस सभ्यता में किसी राजा का शासन नहीं था| बल्कि ये व्यवस्था वहाँ के लोगो के सामाजिक अनुशासन और समझ से विकसित हुई थी| इस सभ्यता में नगरों की व्यवस्था और निर्माण शैली को देखकर पता चलता है कि ये एक उन्नत सभ्यता थी| इस सभ्यता को वहाँ के निवासियों की ज़रुरतो के अनुसार बेहद ही शिष्टता से बसाया गया था| इस सभ्यता में अन्न भंडारण, जल निकासी, पीने के पानी की व्यवस्था, वास्तुकला और सामाजिक व्यवस्था में एकरूपता देखने को मिलती है| जो एक विकसित और उन्नत मानव सभ्यता का प्रतीक हैं|
- लेखक ने सिंधु घाटी सभ्यता को इतिहास से भी पार की सभ्यता क्यों कहा हैं?
उत्तर: सिन्धु घाटी सभ्यता कई मामलों में हमारी आज की दैनिक सभ्यता से भी ज़्यादा उन्नत और अनुशासित थी| इस सभ्यता को लोगो के हितों के अनुरूप विकसित किया गया था| इस सभ्यता से हम उनके विकास को देख सकतें हैं| यहाँ मिले अवशेषों, खंडहरों और टूटी-फूटी सीढ़ियों से पता चलता है कि ये व्यवस्था कितनी अनुशासित और उन्नत थी| अवश्य ही ये सभ्यता उस समय की सबसे उन्नत सभ्यता रही होगी| इस सभ्यता में मिले अवशेषों से हम उस समय के सामाजिक जीवन के बारें में काफी कुछ जान सकतें हैं| ये एतिहासिक अवशेष हमारे लिए अनमोल हैं| लेखक ने इस सभ्यता को दुनिया की छत कहा है| ऐसा लेखक ने इसलिए कहा क्योंकि इस सभ्यता को देखकर पता चलता है कि हज़ारों वर्ष पहले भी मानव समाज इतना अधिक विकसित था, जो अकल्पनीय है| इसलिए लेखक ने इस सभ्यता को इतिहास नहीं बल्कि इतिहास से पार की सभ्यता कहा है|
- लेखक को सिंधु घाटी सभ्यता के अवशेषों को देखकर किस प्रकार की अनुभूति होती है?
उत्तर: लेखक को सिन्धु घाटी सभ्यता के अवशेषों को देखकर ये अनुभूति होती है जैसे वो उस सभ्यता में उन लोगो के मध्य ही पहुँच गया है| यहाँ के खंडहरों से उस समय की स्थिति का आभास होता है| हज़ारो साल बाद भी ये खँडहर मजबूत स्थिति में हैं| यहाँ मिली धातु की वस्तुएँ, मिट्टी के बर्तन, खिलौने और यहाँ के नगर नियोजन की व्यवस्था को देखकर लगता है, मानो ये लोग अभी भी जीवित हैं| यहाँ की सड़को पर खड़े होकर बैलगाड़ियों की आवाज़ को आज भी महसूस किया जा सकता है| ये सभी खंडहर और अवशेष उस काल के अमूल्य एतिहासिक दस्तावेज़ हैं जो आज भी उस सभ्यता को पूर्णतया प्रदर्शित करते हैं|