Class 12 Hindi NCERT Solutions for Antra Chapter 14 Kacha Chitta
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CBSE Class 12 Hindi Antra Important Questions Chapter 14 Kaccha chitta
Study Important Questions for Class 12 Hindi (Antra) Chapter – 14 कच्चा चिटठा
Important Questions for Class 12
Hindi Antra
Chapter 14 – कच्चा चिटठा
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1: संग्रहालय के नए भवन का नक्शा किसने बनवाया था ?
उत्तर: संग्रहालय के नए भवन का नक्शा जवाहरलाल नेहरू ने मुंबई के प्रसिद्ध इंजीनियर मास्टर साथे और मूता से बनवाया था।
2: ओरिएंटल कांफ्रेंस का अधिवेशन कहाँ पर था ?
उत्तर : ओरिएंटल कांफ्रेंस का अधिवेशन मैसूर में था।
3: लेखक कौन से सन में कौशाम्बी गया था ?
उत्तर : लेखक 1936 में कौशाम्बी गया था।
4: बुढ़िया ने मूर्ति देने के बदले कितने रूपए लिए थे ?
उत्तर : बुढ़िया ने मूर्ति देने के बदले 2 रूपए लिए थे।
5: 1938 में गवर्नमेंट ऑफ़ इंडिया के पुरातत्व विभाग का डायरेक्टर जनरल कौन था ?
उत्तर : 1938 में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर जनरल रायबहादुर के एन दीक्षित थे।
लघु उत्तरीय प्रश्न
6: चोर की दाढ़ी में तिनका , इस लोकोक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिये।
उत्तर : चोर की दाढ़ी में तिनका का अर्थ है किसी चोर का चोरी करते हुए पकड़ा जाना क्यूंकि जिसने गलत किया होता है वह अपनी जुर्म भावना से ही घबरा जाता है।
7: लभते वा प्रार्थयता न वा श्रीयम श्रिया दुरापः का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर : उपरोक्त पंक्ति में कवि कहना चाहता है कि लक्ष्मी की इच्छा करने वाले को लक्ष्मी मिले या ना मिले लेकिन यदि लक्ष्मी किसी के पास जाना चाहे तो उन्हें कौन रोक सकता है।
8: ‘ ना कुकुर भूखा ना पहरु जागा ‘ इस लोकोक्ति से क्या समझते हैं ?
उत्तर : कुत्ता और पहरेदार जब किसी के घर की पहरेदारी कर रहे होते हैं तो वहां चोरी नहीं हो सकती , चोर डर के भाग जाता है। लेकिन यहाँ जब लेखक शिव की मूर्ति को चुराता है तो ना ही कुत्ता भौंकता है और ना ही पहरेदार जगता है। इसी के परिणाम से चोरी हो गयी।
9: काकः कृष्णः पिकः कृष्णः को भेद पिक्काकयोंः। प्राप्ते वसन्ते समये काकः काकः पिकः पिकः। भावार्थ लिखिए।
उत्तर : कवि कहना चाहता है कि कौवा भी काला होता है , कोयल भी काली होती है। दोनों में भेद क्या है। लेकिन वसंत ऋतू के आते ही पता चल जाता है कि कौवा कौन है और कोयल कौन है।
10: संग्रहालय को बड़ा बनाने के लिए किस किस का योगदान अतुलनीय है ?
उत्तर : संग्रहालय को बड़ा बनाने में 4 महानुभावों का महत्वपूर्ण योगदान था। राय बहादुर कामता प्रसाद कन्नड़ हिज हाइनेस श्री महेंद्र सिंह जू देव् नागौद नरेश और उनके सुयोग्य दीवान लाल भार्गवेन्द्र सिंह जिनके भरतहु और भूमरा संग्रह के कारण संग्रहालय का मस्तक ऊंचा हुआ और मेरा स्वामिभक्त अर्दली जगदेव , जिसके अथक परिश्रम से इतना बड़ा संग्रहालय बना।
लघु उत्तरीय प्रश्न
11: कौशाम्बी से लौटते हुए लेखक साथ में क्या क्या लेकर आया ?
उत्तर : लेखक जहाँ कहीं भी जाता था , वह खाली हाथ नहीं लौटता था। अपने साथ वहां से जुड़ी कोई ना कोई पुरातत्व महत्व की वस्तु लेकर ही आता था। लेखक को गांव से मनके पुराने सिक्के मनमूर्तियां आदि मिली। कौशाम्बी लौटते हुए वह अपने साथ एक 20 सेर की शिव की पुरानी मूर्ति लाया था। यह मूर्ति उसे पेड़ के नीचे पत्थरों के ढेर के ऊपर मिली थी।
12: मूर्ति गायब होने पर लोग लेखक को क्यों दोष दे रहे थे ?
उत्तर : लेखक को मूर्ति , पुराने सिक्के और शिलालेखों को इकठ्ठा करने का शौक था। लेखक पुरातत्व महत्व की वस्तु को देखते ही अपने साथ ले जाता था। उसकी इस आदत से सभी परिचित थे। अतः कहीं भी मूर्ति गायब हो जाती थी तो लोग लेखक का ही नाम लेते थे। इस बार भी गांव वालों को लेखक पर ही शक था। इसलिए लेखक बिना किसी विवाद के अपने दोष को स्वीकार कर लेता है।
13: ” ईमान और संग्रह दोनों एक साथ बड़ी मुश्किल हैं ” पाठ के आधार पर इस कथन को स्पष्ट कीजिये।
उत्तर : लेखक कहना चाहता है कि जो लोग ईमान की बात करते हैं वह कभी न कभी बेईमान हो जाते हैं। लेखक ईमान जैसी चीज़ से स्वयं को मुक्त कर देता है। लेखक की यह बात उस कथन से स्पष्ट होती है जब उसने बोधिसत्व की मूर्ति को पाने के लिए बुढ़िया को दो रूपए दिए थे। आगे चलकर उसे उस मूर्ति के हज़ार रूपए मिले .लेकिन उसने बिना सोचे समझे पैसे लेने से मना कर दिया। वह चाहता तो अपने दिए हुए दो रूपए और म्हणत को वसूल लेता लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया। वह अपने काम के लिए पूर्ण रूप से समर्पित था।
14: लेखक ने किन किन महानुभाव का जिक्र अपने लेख में किया है ?
उत्तर : लेखक ने निम्नलिखित महानुभाव का जिक्र अपने लेख में किया है।
1: पंडित जवारलाल नेहरू
2: डॉक्टर ताराचंद
3: डॉक्टर पन्नालाल
4: मास्टर साठे और मूता
5: रायबहादुर कामता प्रसाद
6: ठाकुर गोपाल शरण सिंह
7: सुयोग्य दीवान लाल भार्गवेन्द्र सिंह
8: हिज़ हाइनेस श्री महेंद्र सिंह जूदेव नागौर
9: स्वामीकांत अर्दली जगदेव
10: डॉक्टर सतीश चंद्र काला
15: लेखक ब्रजमोहन व्यास का जीवन परिचय लिखिए।
उत्तर : ब्रजमोहन व्यास का जन्म 1866 में इलाहाबाद में हुआ था। पंडित बालकृष्ण भट्ट से उन्होंने संस्कृत ज्ञान प्राप्त किया। वे 1921 से 1943 तक इलाहाबाद नगरपालिका के कार्यपालक अधिकारी थे। वे समाचार पत्र समूह लीडर के जनरल मैनेजर भी थे। इलाहाबाद में पुरातत्व सम्बंधित प्रयाग संग्रहालय के निर्माण में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। इनके द्वारा इसमें दो हज़ार पाषाण मूर्तियां , पांच हज़ार मृण्मूर्तियां , कनिष्क के राज्य काल की प्राचीनतम बौद्ध मूर्तियां ,खजुराहो की चंदेल प्रतिमाएं , सैकड़ों रंगीन चित्रों का संग्रह आदि शामिल है। इनकी इतिहास और पुरातत्व में गहरी रूचि थी , उनकी संग्राहकारी प्रवृत्ति के कारण वे देश और समाज को इलाहाबाद का विशाल संग्रहालय भेंट कर गए। इनकी प्रमुख कृतियां है – जानकी हरण , पंडित बालकृष्ण भट्ट ( जीवनी ) , मदन मोहन मालवीयः ( जीवनी ) . इसके बाद 23 मार्च को इनका देहांत हो गया था।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
16: पसोवा के बारे में विस्तृत जानकारी लिखिए।
उत्तर : परोसवा एक जैन तीर्थस्थल है। प्राचीन काल से हर साल यहाँ जैनों का बहुत बड़ा मेला लगता है । मीलों दूर से हज़ारों जैन यात्री यहाँ आकर सम्मिलित होते हैं। इसी स्थान पर एक छोटी सी पहाड़ी थी जिसकी गुफा में बुद्धदेव व्यायाम करते थे। उसी पहाड़ी में एक नाग भी रहता था। इसी के पाद सम्राट अशोक स्तूप बनवाया था जिसमे बुद्ध के थोड़े से केश और नख खंड रखे रह गए थे। पसोवे में अब स्तूप और व्यायामशाला के तो कोई चिन्ह अब नहीं रह गए हैं लेकिन वहां एक पहाड़ी ज़रूर है , उस पहाड़ी का होना इशारा करता है कि यह स्थान वही है।
17: कर्तव्य पालन के सन्दर्भ में लेखक ने क्या कहा है ?
उत्तर : इसके सन्दर्भ में लेखक का यह कहना है कि जिस प्रकार ” चन्द्रवं व्रत करती हुई बिल्ली के सामने एक चूहा स्वयं आ जाये तो बेचारी को अपने कर्तव्य का पालन करना पड़ता ही है “. उसी प्रकार लेखक को भी किसी भी स्थिति में अपने कर्तव्य का पालन करना पड़ता ही है ” उसी प्रकार लेखक को किसी भी स्थति कर्तव्य का पालन करना पड़ता है। चाहे कैसी भी स्थिति हो। लेखक कहीं भी जाता है तो खाली हाथ नहीं लौटता , लेकिन पसोवा में उसे कुछ खास वस्तुएं नहीं मिलीं। लेकिन जब गांव से बाहर निकले तो उन्हें एक शिव की मूर्ति मिली जो लगभग 20 सेर की थी और पेड़ के सहारे रखी हुई थी। उस समय लेखक की स्थिति उस बिल्ली के समान थी जो चंद्रवान व्रत करती है। वह चूहे को देखते ही भूल जाती है कि उसने व्रत किया है। उसी प्रकार लेखक उस मूर्ति को देखते ही अपना व्रत भूल जाता है और मूर्ति को उठाकर इक्के में रखकर चल देता है। यही लेखक का कर्तव्य है।
18: गांव वालों के उपवास के सम्बन्ध में अपनी प्रतिक्रिया दें।
उत्तर: गांव वालों को जब पता चलता है कि शिव की मूर्ति चोरी हो गयी है तो उन्हें बहुत दुःख होता है क्यूंकि उनकी श्रद्धा उस मूर्ति के साथ जुड़ी होती है। वह मूर्ति उनके गांव के बाहर एक पेड़ के नीचे रखी हुई थी जिनकी वह रोज पूजा किया करते थे , लेकिन एक दिन उसे न पाकर विचलित हो गए थे , बहुत दुखी हो गए और उन्होंने तय किया कि जब तक शिव की मूर्ति वापस नहीं आएगी वे ना कुछ खाएंगे और ना ही पिएंगे। इस तरह सभी ने उपवास करना आरम्भ कर दिया। लेखक के स्वभाव से सभी गांव वाले परिचित थे इसलिए वे सभी लेखक के घर पहुँच गए और उनसे मूर्ति वापस मांगी। लेखक के बिना किसी विवाद के मूर्ति के गांव वालों को लौटा तथा मिठाई खिलाकर उनका व्रत तुड़वाया।
19: बोधिसत्व की मूर्ती लेखक को कैसे मिली ?
उत्तर : लेखक जब कौशाम्बी गया था। तब वह खेतों की डाड़ डाइ जा रहा था। कि खेत की एक मेड़ पर बोधिसत्व की 8 फुट लम्बी एक सुन्दर मूर्ति पड़ी देखी। मथुरा के लाल पत्थर की थी। सिवाए सिर के पद स्थल तक वह सम्पूर्ण थी। मूर्ति देखते ही लेखक को पसंद आ गयी थी और उसने अपने साथ ले जाने का इरादा कर लिया था। वह मूर्ति को उठाने के लिए आस पास से कुछ लोगों को बुलाता है लेकिन उसी समय उस खेत की मालकिन को आते देखता है जो वृद्धा अवस्था में हैं और लाचार है। मालकिन लेखक को देखते ही समझ जाती है कि लेखक को उस मूर्ति की ज़रूरत है। इसलिए वह उसे ले जाने से मना कर देती है। लेखक समझ गया था कि इस समय इस वृद्धा से उलझना ठीक नहीं है। उस वृद्धा का लालची स्वभाव देखते हुए लेखक ने उसे पैसे का लालच देते हुए 2 रूपए में मूर्ती खरीद ली और मूर्ति लेकर चल दिया।
20: भद्रमठ शिलालेख के सम्बन्ध में घटिल घटना का वर्णन करें।
उत्तर : लेखक ने भद्रमथ शिलालेख को पचीस रूपए में खरीदा था। वह उसे संग्रहालय में देना चाहता था। इस विषय पर विवाद खड़ा हो गया जिसके कारण उसे इस मूर्ति को गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के पुरातत्त्व विभाग को देना पड़ा। इससे लेखक को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। वह जानता था कि जिस गांव से उसे शिलालेख मिल सकता है। वहां से उसे अन्य पुरातत्व महत्व की वस्तुएं ही मिल सकती हैं। इस उद्देश्य से वह गुलज़ार मियां के यहाँ जा पहुंचा , यह स्थान कौशाम्बी से चार पांच किलोमीटर दूरी पर था। जो गुलज़ार मियाँ के घर के ही पास था। उनके घर के पास एक कुआं था। इसके चबूतरे पर चार खम्भे लगे हुए थे। जब लेखक ने बड़ेर पर देखा तो उस ब्राहमी अक्षरों में कुछ लिखा हुआ था। लेखक के कहने पर गुलज़ार ने उन्हें खुदवा कर लेखक को दे दिया। इस तरह लेखक की भद्रमठ की शिलालेख की क्षतिपूर्ति हो गयी।