Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Antra Chapter 3 – Yeh Deep Akela, Maine dekha ek Boond
‘Ye Deep Akela’ and ‘Maine dekha ek boond’ are both beautiful pieces of art written by poet Sacchidanand Hiranand Vatsyayan Agyeya. In the poem ‘Ye Deep Akela’, the poet expresses the sentiments of a lonely character. He says that human beings are social beings and are meant to live in groups. Just like how a lonely candle can only spread a little light, but when kept in a group, the room illuminates brighter, similarly, when people live in a group, they bloom. The poet talks about the inner lamp of every individual. This lamp depicts love, fulfilment, and ego in a person. A person burns out of affection, just as a lamp burns out of oil. A world that burns with love is deeply enlightened. Its flame is now correct and demonstrates its satisfaction. But when a person is proud of himself because of what he did; he no longer bows down to anyone or anything. The burning lamp’s flame keeps moving from one place to another. This poet called him Madamati. The second poem, ‘Maine Dekha Ek Boond’ illustrates how an ordinary drop of water separates from the big ocean when a tide comes; and glitters in the golden light of the sun before it goes back to the ocean. Through these lines, the poet suggests that people break free from their shackles and take a leap that will make them proud.
Both these poems are beautiful philosophical pieces. Extramarks has a PDF version of both of these poems available for download. Extramarks is an online academic portal that provides you with the necessary study materials to help you gain a better understanding of the topics and perform better in your exams.
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CBSE Class 12 Hindi Antra Important Questions Chapter 3 – Yeh Deep Akela, Maine dekha ek Boond
Study Important Questions Class 12 Hindi Antra Chapter 03 – यह दीप अकेला / मैंने देखा , एक बूँद
लघु उत्तरीय प्रश्न (1अंक)
- दीप अकेला कविता किस पुस्तक से ली गयी है?
उत्तर : दीप अकेला कविता कवि ‘अज्ञेय’ की पुस्तक ‘बावरा अहेरी’ से ली गयी है।
- निम्न शब्दों के विलोम शब्द लिखिए?
गर्व, अकेला, भरा
उत्तर : गर्व – शर्म
अकेला – दुकेला
भरा – खाली
3.निम्न शब्दो के शब्दार्थ लिखिए?
गोरस , बिरला, निर्भय
उत्तर : गोरस – दूध , दही
बिरला – असाधारण
निर्भय – जिसको डर न लगता हो।
4.निम्न शब्दों के पर्यायवाची लिखिए?
विराट ,स्नेह, कृती
उत्तर : विराट – विशाल, बड़ा, विस्तृत
स्नेह – प्रेम, मोह, लगाव
कृती – कुशल, पारंगत, निपुण
- निम्न पंक्ति में रिक्त स्थान पूरा करो।
है गर्व भरा ………….. दे दो।
उत्तर : है गर्व भरा मदमाता पर इसको भी पंक्ति में दे दो।
लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)
- कवि ने कविता में दीपक को किसका प्रतीक बताया है?
उत्तर : कवि ने कविता में दीपक को मनुष्य का प्रतिक बताया है| मनुष्य को व्यक्तिगत जीवन से अलग सामाजिक जीवन से जुड़ने का विचार दिया है|
- इस पंक्ति के तुलनात्मक भाव को लिखो।
पनडुब्बा ये मोती सच्चे फिर को कृती लाएगा ?
उत्तर : इस पंक्ति में कवि कवियों की रचनात्मकता की तरफ संकेत कर रहें हैं| कवि कहते हैं कि कवि ऐसा गोताखोर है जो हृदय रूपी समुद्र में डूब कर रचनात्मकता के मोतियों को खोज़ कर लाता है|
3.‘मैंने देखा एक बूंद’ कविता से कवि का क्या अभिप्राय है?
उत्तर : कविता में अज्ञेय जी ने समुद्र से अलग होती जल की एक बूंद की क्षणभंगुरता की व्याख्या की है| कवि ने कविता के माध्यम से उस एक क्षण के महत्व को दर्शाया है|
4.”समिधा – ऐसी आग हठीला बिरला सुलगायेगा” निम्न पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : इन पंक्तियों में कवि ने परोपकारी और गुणी व्यक्ति की तुलना हवन में जलने वाली उस लकड़ी से की है जो जनकल्याण के ध्येय से खुद जल जातीं हैं| इस प्रकार ही परोपकारी व्यक्ति स्वयं के परिश्रम से दुसरे लोगो को लाभ पहुँचाता है|
5.”एक मधु है स्वयं काल की मोना का युग संचय यह गोरस जीवन कामधेनु का अमृत पूत–पय” इन पंक्तियों के भावार्थ लिखिए।
उत्तर : इन पंक्तियों में कवि ने रचनात्मक मनुष्य की तुलना शहद से की है| कवि कहतें हैं कि “जिस प्रकार मधु मक्खियाँ अपने अथक परिश्रम से मधु एकत्र करती है और उसे तैयार होने में समय लगता है| उस प्रकार ही मनुष्य को खुद की रचनाओं की खोज करने में समय लगता है| कवि ये भी कहतें हैं कि प्रतिभाशाली व्यक्ति कामधेनु के समान है, ऐसा व्यक्ति कठिनाइयों और विपरीत परिस्थितियों में भी अपने प्रेमपूर्ण और परोपकारी आचरण को नहीं त्यागता है|
लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)
1.”यह दीप अकेला स्नेह भर है गर्व भरा मदमाता” इन पंक्तियों का भावार्थ लिखिए|
उत्तर : इस पंक्ति में कवि ने गुणवान मनुष्य की तुलना दीपक से की है| कवि कहतें हैं कि जिस प्रकार तेल से भरे दीपक की लौ हमेशा सीधी और सतत रहती है और अँधेरे को दूर करके प्रकाश फैलाती है| उस प्रकार गुणवान व्यक्ति भी समाज के अँधेरे को दूर करता है और गर्व की अनुभूति करता है|
2.”पर इसको भी पंक्ति को दे दो” इस पंक्ति से कवि का आशय क्या है।
उत्तर : कवि कहतें हैं कि जिस प्रकार दिया जलकर घर में प्रकाश फैलाता है| इस तरह ही गुणवान व्यक्ति भी समाज के साथ जुड़कर समाज को गुणवान बनाता है|
- “यह जन है , गाता गीत उन्हें फिर और कौन गायेगा? पनडुब्बा ये मोती सच्चे फिर और कौन लाएगा?” इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिये।
उत्तर : कवि गुणवान व्यक्तियों की सामाजिक भूमिका के महत्व को समझाते हुए कहते हैं कि गुणवान व्यक्ति को समाज से जुड़ना ज़रूरी है| कवि गुणवान व्यक्ति की तुलना पनडुब्बी से करते हुए कहतें हैं की गुणवान व्यक्ति उस गोताखोर की तरह है जो मोती निकालने के लिए समुन्द्र ताल की गहराइयों में भी चले जाते| इसलिए समाज को सकारात्मक दिशा में ले जाने के लिए ऐसे गुणवान व्यक्तियों का समाज से जुड़ना ज़रूरी है|
4.”यह प्रकृत स्वयम्भू शक्ति को दे दो” इस पंक्ति के भाव सौंदर्य की व्याख्या कीजिये।
उत्तर : इस पंक्ति से कवि का भाव है कि यदि सभी व्यक्ति एक साथ, हाथ से हाथ मिलाकर समाज कल्याण के लिए प्रयास करेंगे तो समाज कल्याण के उनके प्रयास फलीभूत होंगे| कोई एक अकेला व्यक्ति ज़्यादा कुछ नहीं कर सकता है| इसलिए समाज कल्याण के लिए वैश्विक स्तर पर पुरे मानव समाज को मिलकर ही काम करना होगा|
- ‘मैंने देखा, एक बूंद’ कविता के माध्यम से कवि हमको क्या सीख देते हैं?
उत्तर : ‘मैने देखा, एक बूंद’ कविता के द्वारा कवि एक–एक क्षण का महत्व बताने का प्रयास कर रहें हैं| कवि बताते हैं की मानव जीवन में हर एक क्षण महत्वपूर्ण हैं जैसे समुन्द्र की एक बूंद का अस्तित्व एक क्षण में बदल जाता इस प्रकार ही मनुष्य के जीवन में परिवर्तन के लिए कोई भी एक क्षण पर्याप्त है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)
1.कवि ने दीप की तुलना मनुष्य से कैसे और क्यों की है?
उत्तर : कविता में कवि ने दीप को मनुष्य का प्रतिक बताते हुए किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन और सामाजिक जीवन को जोड़ने का विचार दिया है| इस कविता में कवि ने दीप को अकेला बताया है ठीक वैसे ही हर मनुष्य भी संसार में अकेला आता है। कवि ने दीप को एक ऐसे व्यक्ति का प्रतीक माना है, जो स्नेह, गर्व तथा अहंकार से युक्त है। जैसे दीप तेल के कारण जलता है, वैसे ही मनुष्य भी स्नेह के कारण जीवित रहता है। दीप संसार को प्रकाशित करता । मनुष्य अपने कार्यों से संसार को प्रकाशित करता । जलते हुए दीप की लौ इधर-उधर हिलती रहती है। कवि ने इसे ही मदमाती कहा है। मनुष्य भी मस्ती में इधर-उधर मदमाता रहता है।
2.‘गीत’ और ‘मोती’ का महत्व कब है?
उत्तर : कविता में कवि कहतें हैं की किसी गीत की महत्ता गायन से है और मोती की महत्ता तब है जब वो समुन्द्र से निकाल लिया जाये| अर्थात कोई भी लिखा गया गीत तब तक सार्थक नहीं होता जब तक उसे गया ना जाये| इस प्रकार ही सच्चे मोती का मूल्य तब ही होता है जब कोई गोताखोर उसे समुन्द्र की गहराइयों से निकाल लेता है| गीत को सार्थकता गाने वाल प्रदान करता है तो मोती को सार्थक उसे खोज कर लाने वाला गोताखोर बनाता है|
3.‘यह मधु है …………. तकता निर्भय’- पंक्तियों के आधार पर मधु गोरस और अंकुर की विशेषता की व्याख्या कीजिये|
उत्तर : कवि सच्चिदानंद के अनुसार–
मधु की विशेषता ये है कि उसे बनाने में मधुमक्खियों का अथक परिश्रम और बहुत समय लगता है| गौरस की प्राप्ति कामधेनु के दूध से होती है| कामधेनु का दूध अमृत के सामान होता है| अंकुर की विशेषता ये होती है कि उसमें कठोर से कठोर भूमि को चीरकर भी अंकुरित होने की क्षमता होती है|
4.यह सदा द्रवित, चित्र जागरूक ………………….. चिर अखण्ड अपनाया। इन पंक्तियों का भावार्थ स्पष्ट कीजिये|
उत्तर : इन पंक्तियों में कवि ने दीपक और मनुष्य की तुलना करते हुए दोनों की समानता की व्याख्या की है| कवि कहतें हैं जैसे दीप खुद जलाकर मनुष्य के जीवन से अन्धकार दूर करके प्रकाश फैलाता है, उस प्रकार ही गुणवान व्यक्ति किसी दुसरे प्राणी के दुःख को देखकर द्रवित होता है और फिर अपने परिश्रम से उसके दुखो को दूर करता है|
- कवि का “सागर” और “बूंद” से क्या अभिप्राय है?
उत्तर : कवि ने सागर और समाज के मध्य और बूंद और मनुष्य के मध्य समरूपता दिखाते हुए समाज और मनुष्य के सम्बन्ध के महत्व की व्याख्या की है| कवि के अनुसार सागर समाज का प्रतीक है, जबकि बूंद व्यक्ति का। बूंद सागर की लहरों से उछलकर अलग हो जाती है और पुनः उसी सागर में मिल जाती है। बूंद का अस्तित्व क्षणभंगुर है, लेकिन बूंदों के मिलने से ही समुन्द्र का निर्माण हुआ है इसलिए बूंद अपना विशिष्ट महत्व भी रखती है। इसी प्रकार मानव का समाज से पृथक् होने पर कोई अस्तित्व नहीं है, बहुत सारे गुणवान मानव मिलकर समाज का निर्माण करते हैं और उसे सही दिशा में ले जाते हैं| इस प्रकार प्रत्येक मानव, समाज के लिए महत्वपूर्ण है| अपनी इस पंक्ति से कवि ने सामाजिक समानता का सन्देश भी दिया है|