Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Antra Chapter 5 – Ek Kam, Satya
Vishnu Khare wrote the two poems Ek Kam and Satya. The poem ‘Ek Kam’ is a reality slap that shows us our shortcomings and the shortcomings in our society. It talks about corruption, the corruption, and the sufferings of the honest man. The second poem, “Satya’ is a narration of the search for truth.
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Study Important Questions for Class 12 Hindi Antra Chapter 05 – एक कम/सत्य
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)
- कवि को कब से लोग आत्मनिर्भर, मालामाल और गतिशील होते दिखें हैं?
उत्तर: कवि ने 1947 के बाद के लोगो को लोगो को आत्मनिर्भर, मालामाल, और गतिशील होते देखा है।
- निम्न शब्दों का विलोम शब्द लिखिए।
विरोध, ईमानदार, संकल्प।
उत्तर: विरोध – समर्थन
ईमानदार – बेईमान
संकल्प – विकल्प
- निम्न शब्दो के शब्दार्थ लिखिए।
निर्लज्ज, निनिर्मेष, आश्रित
उत्तर: निर्लज्ज – जिसे कोई शर्म ना हो।
निनिर्मेष – एक टक देखना।
आश्रित – किसी पर निर्भर होना।
- निम्न का पर्यायवाची लिखिए।
घने, सत्य, स्वामी|
उत्तर: घने – घनिष्ठ, सघन, घनीभूत
सत्य – सच, सच्चाई , वास्तविक
स्वामी – मालिक, अधिपति, नाथ
- निम्न पंक्ति में रिक्त स्थान की पूर्ति करो।
आत्मनिर्भर, ………………. होते देखा है।
उत्तर: आत्मनिर्भर, मालामाल और गतिशील होते देखा है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)
- कविता ‘ एक कम ‘ से कवि का क्या अभिप्राय हैं?
उत्तर: कवि ने अपनी कविता ‘एक कम’ के माध्यम से स्वतंत्रता मिलने के बाद भारतीय समाज की बदल रही जीवनशैली को रेखांकित किया है।
- कवि के अनुसार लोगो ने अमीर बनने के लिए क्या किया?
उत्तर: कवि के अनुसार 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद से भारत में अमीर ओर ज़्यादा अमीर होता जा रहा है, क्योंकि लोग अमीर बनने की होड़ में अपने स्वाभिमान को त्याग कर भ्रष्टाचार का मार्ग अपना रहें हैं|
- कविता ‘ एक कम ‘ की विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर: कविता में निम्नलिखित विशेषताएं हैं –
1.कवि ने भ्रष्टाचारऔर भ्रष्टाचारियों की निंदा की है
2.कवि ने लोगो के द्वारा धोखाधड़ी और गलत तरीके से धन कमाने के आचरण की निंदा की है|
- कवि ने हाथ फैलाने वाले व्यक्ति को ईमानदार क्यों कहा है?
उत्तर: कवि ने अपनी कविता में हाथ फैलाकर भीख मांगने वाले व्यक्ति को ईमानदार कहा है, क्योंकि उसने पैसा कमाने के लिए गलत तरीके नहीं अपनाए इसलिए वो आमीर नहीं है|
- कवि ने कविता में स्वंय को लाचार, कामचोर, और धोखेबाज क्यों कहा हैं?
उत्तर: कवि को ये पता है कि कौन बेईमान है और कौन इमानदार? लेकिन फिर भी वो बेईमानो को रोकने के लिए कुछ नहीं कर पा रहें हैं| इसलिए कवि ने खुद को लाचार, कामचोर और धोखेबाज़ कहा है|
लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)
- निम्न पंक्तियों का भावार्थ लिखो।
कि अब जब आगे……तो जान लेता हूं।
उत्तर: इस पंक्तियों में कवि बताते हैं कि जब भी कोई उसके सामने हाथ फैलाकर चाय के लिए 25 पैसे या दो रोटी मांगता है तो कवि समझ जाता है कि वो इमानदार आदमी है| क्योंकि यदि वो व्यक्ति बेईमान होता तो, गलत तरीके से पैसा कमाकर वो भी अमीर बन चूका होता|
- निम्न पंक्तियों का क्या आशय है?
मानता हुआ कि हां………एक मामूली धोखेबाज।
उत्तर: इन पंक्तियों के माध्यम से कवि खुद की लाचारी को अभिव्यक्त कर रहा है| कवि कहता है कि वो जानता है कि कौन बेईमान है और कौन इमानदार? लेकिन वो ना ही तो बेईमानो को बेईमानी करने से रोक पा रहा है और ना ही इमानदारों की मदद कर पा रहा है| इसलिए कवि खुद को लाचार, धोखेबाज़ और कामचोर कहता है|
- निम्न पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।
मैंने अपने को हटा लिया है हर होड़ से…..में तुम्हारा विरोधी प्रतिद्वंदी या हिस्सेदार नहीं।
उत्तर: इन पंक्तियों के माध्यम से कवि ये कह रहें हैं कि वो भ्रष्ट लोगो के भ्रष्टाचार में हिस्सेदार नहीं है| कवि कहते हैं कि वो बेईमान लोगो को रोक भी नहीं पा रहें हैं इसलिए वो उनके विरोधी भी नहीं हैं| उनकी बेईमानो से कोई प्रतिद्वंदिता नहीं है क्योंकि वो बेईमानी से बहुत दूर हैं| वो बेईमानी से पैसा कमाने की होड़ में शामिल नहीं हैं|
- निम्न पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिये।
जब हम सत्य को…….घने जंगलों में।
उत्तर: इन पंक्तियों से कवि का आशय है की सत्य की प्राप्ति पुस्तकों से नहीं हो सकती है| सत्य को प्राप्त करने के लिए घोर ताप करना पड़ता है| कवि महाभारत के एक प्रसंग का भी उद्धरण देतें हैं| कि जब सत्य के प्रतीक विदुर से सत्य के ज्ञाता युधिष्ठिर सत्य का साथ देने के लिए कहते हैं तो विदुर घने जंगल में भाग जाते हैं|
- निम्न पंक्तियों का भावार्थ लिखिए।
सत्य शायद………भटक सकते हैं।
उत्तर: पंक्तियों के माध्यम से कवि कहना चाहते हैं की सत्य भी कभी-कभी ये जानने का प्रयास करता है कि आप उसकी प्राप्ति के लिए उसके पीछे कितना दूर तक भाग सकतें हैं| तभी तो सत्य के प्रतीक विदुर, युधिष्ठिर से दूर घने जंगल की तरफ भाग गए| क्योंकि वो भी जानना चाहते थे कि युधिष्ठिर उनको पाने के लिए कितना दूर तक भाग सकते हैं? अर्थात सत्य हमारी परीक्षा लेता है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)
- विमुद्रीकरण नीति ने समाज कैसे प्रभावित किया?
उत्तर: 1947 के बाद भारत में भ्रष्टाचार चरम पर था| भ्रष्टाचारी गलत तरीके से दौलत कमाकर उसे नकद कालेधन के रूप में जमा कर रहे थे| विमुद्रीकरण से उन भ्रष्टाचारियों के द्वारा काले धन के रूप में जमा की गयी नकदी बेकार हो गयी और उन्हें बहुत परेशानी हुई| लेकिन आम गरीब आदमी भी अपनी थोड़ी सी जमा पूंजी नकदी के रूप में रखता था इसलिए उसे भी इससे परेशानी हुई| विमुद्रीकरण के बाद नीतियों का सही से और इमानदारी से पालन ना होने के कारण इस नीति से भ्रष्ट आदमी को इतनी परेशानी नहीं हुई जितनी परेशानी आम आदमी को उठानी पड़ी|
- निम्न पंक्ति का अर्थ स्पष्ट कीजिये।
‘मैं तुम्हारा प्रतिद्वंदी, विरोधी या हिस्सेदार नहीं हूं’
उत्तर: कवि इस पंक्ति में भ्रष्ट और बेईमान लोगो को संबोधित करते हुए कहते हैं कि कवि भ्रष्ट लोगो का विरोध नहीं कर पा रहे लेकिन वो उनके सहयोगी भी नहीं हैं| | ना ही वो भ्रष्ट लोगो के प्रतिद्वंदी हैं, क्योंकि उन्होंने खुद को भ्रष्टाचारसे अमीर बनने की होड़ से बाहर रखा है| कवि अनैतिक और भ्रष्ट भी नहीं है इसलिए वो किसी भ्रष्ट व्यक्ति के भ्रष्टाचार के हिस्सेदार भी नहीं हैं|
- कवि ने ऐसा क्यूँ कहा है कि ‘युधिष्ठिर जैसा संकल्प लो’?
उत्तर: कवि युधिष्ठिर के जैसे सत्यनिष्ठ बनने का सभी से आवाहन कर रहें हैं| कवि कहतें हैं कि युधिष्ठिर को जीवन में बहुत से कष्टों का सामना करना पड़ा, वनवास और अज्ञातवास में रहना पड़ा| लेकिन युधिष्ठिर ने कभी भी सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा| इस तरह ही चाहे जितने भी कष्ट और मुसीबतें जीवन में क्यों ना आयें लेकिन हमें युधिष्ठिर की तरह सत्य के मार्ग पर अडिग रहना चाहिए|
- ‘सत्य दिखना और ओझल होना’ पंक्ति से कवि का क्या आशय है?
उत्तर: कवि कहतें हैं कि सत्य किसी वस्तु के सामान नहीं जो हर समय हमारे सामने भौतिक रूप में उपस्थित रहे| सत्य एक ऐसी शक्ति है, जब हम उसका पालन करते हैं तो वो महसूस होती है| लेकिन जब कोई सत्य को अपने निजी स्वार्थ के लिए बदलकर प्रस्तुत करता है तो सत्य अपने आप को छुपा लेता है| इसलिए सत्यनिष्ठ व्यक्तियों के बीच में सत्य दिखाई देता है लेकिन अनैतिक लोगो में सत्य अदृश्य हो जाता है|
- कविता में बार – बार प्रयोग होने वाला ‘हम’ कौन हैं और उनको क्या चिंता हैं?
उत्तर: ‘हम’ शब्द का प्रयोग कवि ने सत्य की खोज करने वाले लोगो के लिए किया है| कवि कहतें हैं कि सत्य की खोज करने वाले हमेशा सत्य की खोज करने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं, क्योंकि वो सत्य को जानना चाहते हैं| सत्य को जान लेने के बाद वो इसे समाज में स्थापित करना चाहते हैं| लेकिन बहुत कम लोग ही सत्य की खोज में सफल हो पातें हैं|