Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Aroh Chapter 5 Poem Saharsh swikara hai
The poem Saharsh Swikara Hai included in the CBSE Class 12 Hindi Aroh book is written by Gajanan Madhav Muktibodh. The title Saharsh Swikara Hai means ‘accepting all flavors of life with happiness’. This poem is based on the personal experiences of the poet and is dedicated to someone whom he loves very dearly. However, the poet never reveals who that person is, and it could be his parents, spouse, or lover. He does not reveal the name, gender, or any other details about the person for whom he has written the poem.
Through this poem, the poet depicts a state of true and unconditional love that has empowered him to achieve everything that he has achieved in his life. Along with the achievements, he has also accepted the failures and struggles, every single event and emotion, with happiness. He could do this because, through each step of his journey, he was accompanied by the love of his beloved.
The poet expresses his love for his beloved in such beautiful lines that he cannot bind it by naming a relation or justify it with reasons.His feelings are like an endless stream of sweet water that cannot be tamed or controlled. He further says that he has received so much love from his beloved that at times he thinks that he does not deserve this love and that he should be punished. His beloved’s love was like a piercing ray of light, and he is terrified of the day when he will lose her; his life will be as dark as the darkest night.
So, now the poet is averse to a love so strong that it’s making him numb. He calls his beloved and asks for a punishment that would take him to the darkest tunnels of hell, to the loneliest lanes of life, and that he could still survive because the sweet memories of his beloved would give him all the strength he would need. Finally, the poet says that whatever he got in this life was because of his beloved, and everything he got from his beloved he accepts with joy.
In writing this poem, the poet has made beautiful use of the language, which helps students understand the depths of expression. Along with the NCERT textbook, they must also try to answer the important questions that arise from the poem.
Answering the important questions will help students get a better understanding of what the poet is trying to convey. Students can easily download all the study materials, including the chapters, important questions, previous year’s solution documents, sample documents, and more, from the Extramarks website.
Study Important Questions Class 12 Hindi Aroh पाठ-5 सहर्ष स्वीकारा है
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)
- कवि किसे भुला देना चाहता है?
उत्तर: कवि अपनी प्रेमिका को भुला देना चाहता है।
- कवि ने अमावस्या के अन्धकार के लिए किस विशेषण का प्रयोग किया है?
उत्तर: कवि ने अमावस्या के अन्धकार के लिए ‘दक्षिणी-ध्रुव’ का प्रयोग किया है।
- कविता में कवि गरीब को गर्बीली कहकर क्यों सम्बोधित कर रहा है?
उत्तर: कवि अपनी गरीबी को लेकर कोई भी हीनता या ग्लानी का भाव नहीं रखता है| इसलिए कवि किसी गरीब के आत्मसम्मान को व्यक्त करने के लिए गर्बीली कहकर सम्बोधित करता है|
- ममता कहाँ वास करती है?
उत्तर: ममता का अर्थ होता है प्रेम| इसलिए ममता वहाँ वास करती है जहाँ प्रेम और आत्मीयता का भाव होता है|
- ‘मीठे पानी का सोता’ का प्रयोग कवि ने किस संदर्भ में किया है?
उत्तर: कवि इन शब्दों से अपनी प्रेयसी के प्रति अपने प्रेम के भाव को प्रदर्शित कर रहा है| उसने अपनी प्रेयसी के लिए ‘मीठे पानी का सोता’ शब्दों का प्रयोग किया है|
लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)
- कवि के गरीबी के सन्दर्भ में क्या विचार हैं?
उत्तर: अपनी गरीबी को लेकर कवि के विचार हैं कि ये उसे इश्वर द्वारा प्राप्त हुई है| अधिकतर लोग अपनी गरीबी को लेकर एक हीनता का भाव रखते हैं| लेकिन कवि अपनी गरीबी को लेकर कोई हीनता का भाव नही रखता है| इस तरह वह पाठको को चुनौतियों का सामना करके आगे बढ़ने को प्रेरित करता है|
7.कवि के भीतर क्या प्रवाहित होता है?
उत्तर: कवि ने अपने भीतर उठने वाले विचारों को सरिता की उपमा दी है| सरिता का अर्थ है नदी का प्रवाह| जिस प्रकार नदी का प्रवाह कभी नहीं रुकता है, इस प्रकार ही मनुष्य के मन में भी विचार हमेशा प्रवाहित होते रहते हैं। इस क्रम में ही हमारे मन में नवीन विचार भी जागृत होते रहते हैं| इस प्रवाह को रोक पाना अत्यंत कठिन है|
- मानव जीवन में प्रेम की भावना का क्या महत्त्व है?
उत्तर: प्रेम की भावना को शब्दों में व्यक्त कर पाना एक कठिन कार्य है| जब मनुष्य के मन में प्रेम का भाव जागृत होता है तो वो उसके भीतर के अवसाद को भी समाप्त कर देता है| मनुष्य विध्वंस से श्रजन की तरफ बढ़ जाता है| प्रेम ही मनुष्य के भीतर मानवीय संवेदनाओं को जागृत करता है|
- किसी आदमी को अमीर कब कहा जाता है?
उत्तर: आदमी अपने धन से नहीं बल्कि अपने विचारों से अमीर होता है| यदि कोई व्यक्ति वैचारिक रूप से अमीर होगा तो वह अपने परोपकार भाव से कई लोगो को अमीर बना सकता है|
- कवि अपनी प्रेमिका के प्रेम से मुक्त क्यों होना चाहता है?
उत्तर: कवि अपनी प्रेमिका की आत्मीयता, प्रेम और उसकी यादें अब सहन नहीं कर पा रहा है, क्योंकि इनसे कवि की विरह वेदना बढ़ जाती है| और अब कवि से ये विरह वेदना सहन नहीं हो रही है| इसलिए कवि अपनी प्रेमिका को भुलाकर उसके प्रेम से मुक्त होना चाहता है, ताकि कवि स्वाभाविक जीवन जी सके|
लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)
- कवि ने अमावस्या के अंधकार की तुलना किससे की है?
उत्तर: कवि ने कविता में अमावस्या के अंधकार की तुलना दक्षिणी ध्रुव के चंद्रमा से की है। वहाँ चंद्रमा 6 माह तक अपनी चांदनी नहीं बिखेरता है| कवि कहता है कि चंद्रमा भी स्वार्थी बन जाता है और इस कारण वहाँ अंधकार ही व्याप्त रहता है।
- कवि ने अमावस्या का प्रयोग किस संदर्भ में किया है?
उत्तर: कवि ने अपनी प्रेयसी से दूर हो जाने के लिए अमावस्या का प्रयोग किया है। कवि कहना चाहता है कि जिस प्रकार चन्द्रमा 6 महीने तक नहीं निकलता है और स्वार्थी बन जाता है| इस प्रकार ही कवि भी अपनी प्रेमिका से दूर हो जाना चाहता है| कवि के अनुसार इस तरह ही कवि के द्वारा अपनी प्रेमिका को भूल जाने से अन्धकार रूपी अमावस्या आ सकती है|
- अंधकार-अमावस्या में कवि के जीवन को प्रकाशित कौन करता है?
उत्तर: अन्धकार-अमावस्या में कवि के जीवन को उसकी प्रेमिका प्रकाशित करती है| कवि अपनी प्रेमिका को संबोधित करते हुए कहता है कि ‘तुम्हारे प्रेम रूपी जल को मैं जब भी अपने मन से बाहर निकालने का प्रयास करता हूँ तो वो पुन: चारो और से सिमटकर इकठ्ठा हो जाता है| मानो मन में तुम्हारे प्रेम का कोई झरना बह रहा हो, जिसका प्रवाह रुकता ही है| तुम मेरे भीतर समाई हुई हो’| कवि का सम्पूर्ण जीवन उसकी प्रेमिका के प्रेम से ही संचालित होता है|
- कवि के मन में चल रहे अंतर्विरोध को स्पष्ट करें?
उत्तर: कविता के प्रारंभ में कवि अपने हर सुख-दुःख और जीवन की हर घटना को स्वीकार कर रहा है क्योंकि उसके अनुसार वो सब उसकी प्रेमिका को भी प्यारा है| वो कहता है कि उसके जीवन की हर घटना उसकी प्रेमिका के प्रेम की ही देन है| लेकिन वहीँ कवि ये भी कह रहा है कि वो अपनी प्रेमिका की आत्मीयता और उसके प्रेम को सहन नहीं कर पा रहा है| इन दोनों कथनों में विरोधाभाष है| वो अपनी प्रेमिका के प्रेम में भी डूबा है लेकिन वो उससे मुक्त भी होना चाहता है|
- गजानन माधव का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए|
उत्तर: गजानन माधव मुक्तिबोध का जन्म 1917 में (ग्वालियर) मध्य प्रदेश में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा उज्जैन में हुई थी। मुक्तिबोध को प्रगतिशील और नयी कविता के मध्य सेतु माना जाता है। वो ‘तार सप्तक’ के पहले कवि थे| वो भारत के प्रखर आलोचक, निबंधकार, कवि, कहानीकार और उपन्यासकार थे| मुक्तिबोध अस्तित्व वादी विचारधारा के समर्थक थे और वाम पंथ के प्रति झुकाव रखते थे| कविता के साथ-साथ काव्य विषय चिंतन और आलोचना पद्धति को विकसित और समृद्ध करने में भी मुक्तिबोध का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वो ‘वसुधा’ और ‘नया खून‘ आदि पत्रों के संपादक मंडल में भी रहे थे| ‘अंधेरे में, काठ का सपना, सतह से उठता आदमी, जंक्शन, लेखन, विपात्र, ब्रह्मराक्षस का शिष्य इत्यादि’ उनके द्वारा लिखी गयी प्रमुख कहानियां और उपन्यास हैं| ‘चाँद का मुँह टेढ़ा है’ और ‘भूरी-भूरी खाक धूल’ उनके द्वार रचित प्रमुख काव्य संग्रह हैं| 1964 में गजानन माधव मुक्तिबोध का देहांत हो गया था|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)
- ‘सहर्ष स्वीकारा है’ कविता का सारांश लिखिए?
उत्तर: ये कविता कवि के व्यक्तिगत जीवन, उसके आत्मसम्मान और उसकी प्रेमिका के प्रति उसके अनुराग को दर्शाती है| कवि ने अपने सम्पूर्ण व्यक्तिगत जीवन के अनुभव को इस कविता के माध्यम से प्रस्तुत किया है| कवि अपने जीवन के हर सुख और दुःख को स्वीकार करता है| उसे अपनी गरीबी को लेकर भी कोई अवसाद या ग्लानी नहीं है| कवि ने अपनी गरीबी के प्रति गर्व के भाव को प्रदर्शित करने के लिए ‘गर्बीली’ शब्द का उपयोग किया है| कवि के सम्पूर्ण जीवन में उसकी प्रेमिका का प्रेम छाया हुआ है| कवि अपने जीवन की हर घटना को अपनी प्रेमिका के प्रेम का ही प्रभाव और परिणाम मानता है| कवि को अपनी प्रेमिका का प्रेम अपने मन पर बादलों की तरह छाया हुआ लगता है| उसकी प्रेमिका का प्रेम उसके जीवन में प्रकाश की तरह है| लेकिन कवि से अपनी प्रेयसी के प्रेम का प्रवाह सहन नहीं हो रहा है| ये प्रेम उसकी विरह वेदना को बढ़ा देता है| इसलिए कवि अपनी प्रेमिका के प्रेम से मुक्त भी होना चाहता है| अपनी प्रेमिका के प्रेम से मुक्ति को को कवि ‘अँधेरी-अमावस्या’ की तरह कहता है| और इससे उसे आत्मग्लानि का अनुभव भी होता है और इसके लिए वो दंड भुगतना चाहता है|
एक तरफ जहाँ कवि के अंतर्मन और जीवन में उसकी प्रेयसी का प्रेम चारो और छाया हुआ है| तो दूसरी तरफ वो अपनी प्रेमिका के प्रेम से मुक्त भी होना चाहता है| इस तरह ये कविता कवि के अपनी प्रेमिका के प्रति अनुराग और उसके मन के अंतर्द्वंद को भी दर्शाती है|
- “जिंदगी में जो कुछ है, जो भी है…………संवेदन तुम्हारा है!!” इन पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: इन पंक्तियों में कवि अपनी प्रेमिका को संबोधित करते हुए कहता है कि “मेरे जीवन में जो भी है, जैसा भी है, मै उसे खुशी से स्वीकार करता हूँ| मेरा जो कुछ है वह तुम्हे अच्छा लगता है। मुझे अपनी गरीबी का स्वाभिमान है| मेरे जीवन के अनुभव, विचारों का वैभव, मेरे व्यक्तित्व की दृढ़ता, मेरे जीवन में घटित होने वाली हर घटना और मन में बहती भावनाओं की सरिता, यह सभी तुम्हारे प्रेम से ही संचालित है। तुम मेरे मन में बादलों की तरह छाई हुई हो|
- “जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है…..मुझ पर क्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा है!” इन पंक्तियों का अर्थ लिखिए|
उत्तर: कवि प्रेमिका को संबोधित करते हुए कहता है कि “मैं अपने हृदय में फैले तुम्हारे प्रेम रूपी जल को मैं जितना बाहर निकलता हूँ वो फिर से मेरे हृदय में भर जाता है| ऐसाप्रतीत होता है जैसे तुम्हारे प्रेम का झरना मेरे हृदय में बह रहा है। ये झरना एक मीठे पानी के स्रोतके सामान है, जो मेरे अन्तर्मन को तृप्त कर देता है| मुझे तुम्हारा वो मुस्कुराता हुआ चेहरा जब भी याद आता है तो मैं उल्लास से भर जाता हूँ|” कवि का अंतर्मन और वाह्य मन दोनों ही उसकी प्रेमिका के प्रेम से संचालित हैं| कवि ने अपनी प्रेमिका के चेहरे की तुलना आकाश में चमकने वाले चाँद से की है| कवी कहता है कि “जिस प्रकार आकाश में चमकने वाला चाँद अपनी चांदनी से सभी नहलाता रहता है, उस प्रकार ही तुम्हारा मुस्कुराता चेहरा मेरे जीवन को तुम्हारे प्रेम की चांदनी से नहला जाता है| तुम्हारा सौंदर्य अद्भुत है”
- “सचमुच मुझे दंड दो कि भूलू मैं भूलूँ मैं…….बहलाती से लाती आत्मीयता बर्दाश्त नहीं होती है!” इन पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: कवि इन पंक्तियों में अपनी प्रेमिका के प्रेम से दूर होने की इच्छा प्रकट कर रहा है| लेकिन वो इसके लिए स्वयं को अपराधी मानते हुए दंड भी भुगतना चाहता है| कवि कहता है कि “मैं अपनी प्रियतमा के स्नेह से मुक्त होना चाहता हूँ”। कवि अपने लिए दंड की याचना करते हुए कहता है कि “मैं पाताल की अंधेरी गुफाओं व सुरंगों में खो जान चाहता हूँ। मैं ऐसी जगह जाना चाहता हूँ जहाँ मुझे मेरे अस्तित्व का कोई अनुभव ही ना हो| मैं धुएं के बादलो के अन्धकार में खो जाना चाहता हूँ”| कवि आगे कहता है कि ऐसी जगहों पर भी उसे उसकी प्रेयसी का प्रेम सहारा देता रहेगा| कवि के जीवन में जो कुछ है वह उसकी प्रेयसी के कारण है, इसलिए उसे वो सब प्रिय है| कवि के जीवन का हर सुख-दुःख, हर्ष-उल्लास, उसका स्वाभिमान, सब कुछ उसकी प्रमिका के प्रेम से ही प्रेरित है। कवि की प्रमिका उसके जीवन से पूरी तरह जुड़ी हुई है और कवि का जीवन उसकी प्रेयसी के प्रेम से ही संचालित है।
- “सचमुच मुझे दंड दो कि हो जाऊँ……. वह तुम्हें प्यारा है!” इन पंक्तियों का का भावार्थ है।
उत्तर: कवि अपनी प्रेयसी के अद्भुत सौंदर्य और उसके स्वरूप को भूलकर उसके प्रेम से मुक्त होना चाहता है| इस कारण वह अपने लिए पाताल लोक की गहरी गुफाओं और अँधेरी सुरंगों में खो जाने का दंड भुगतना चाहता है| वो ऐसी जगह पर जाना चाहता है जहाँ वो स्वयं के अस्तित्व का भी अनुभव ना कर सके| वो गहरे धुंए के बदलो के अन्धकार में खो जाना चाहता है| कवि कहता है कि इन जगहों पर भी उसे अपनी प्रेमिका के प्रेम से सहारा मिलता रहेगा| उसके जीवन में उसे जो भी अपना लगता है वो सब उसकी प्रेमिका के प्रेम का ही परिणाम है, इसलिए उसे वो सब प्रिय है| उसके जीवन की हर घटना उसकी प्रेमिका के प्रेम के ही कारण है| कवि अपनी गरीबी, अपनी सफलता और असफलता और अपने हर सुख-दुःख को सिर्फ इसलिए स्वीकार करता है क्योंकि वो उसकी प्रेमिका को भी प्रिय है| उसका सम्पूर्ण जीवन और उसका चेतन और अवचेतन मन उसकी प्रेमिका के प्रेम से ही संचालित है|