Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Aroh Chapter 6 Poem Usha
This beautiful poem is written by famous poet Samsher Bahadur Singh.In this poem, the poet tries to paint a picture of the world before dawn. He depicts the mesmerising colours of the night and how the first beam of light pierces through the dark blue sky. He compares the sun to the colour of saffron washed with water, as if the colours of the sun were melting into the dark blue sky. The poet further says that when the reflection of the sun dances in the glittery water, dawn breaks and the day begins!
This beautiful poem takes the students a step closer to nature. Through his words, the poet tells and teaches the students to enjoy the beauty of the mornings, he turns their attention towards the beauty of the sky and the colours it wears.
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Class 12 students appearing for the CBSE Board exams must try solving these essential questions of Class 12 Hindi Aroh Chapter 6 Usha. The questions include solutions that also meet the requirements of the CBSE standards.
By solving these questions, you can evaluate your Hindi skills and the types of questions that have been asked and are likely to appear in future reviews of the CBSE Council.
Study Important Questions Class 12 Hindi Chapter 6 – उषा
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)
- निम्न शब्दों का शब्दार्थ बताइए।
भोर, नभ, गौर, देह
उत्तर:- भोर : प्रभात
नभ : आकाश
गौर : गोरी
देह : शरीर
- नभ और सूर्योदय का पर्यायवाची लिखिए |
उत्तर:- नभ – आकाश, गगन, आसमान, अम्बर।
सूर्योदय – प्रातःकाल, प्राभात, सवेरा, भोर|
- “नील… में या किसी की गौर झिलमिल देह” पंक्ति में रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिये।
उत्तर:- ये पंक्तियां कुछ इस प्रकार है:
“नील जल में या किसी की गौर झिलमिल देह”
- निम्न शब्दों के विलोम शब्द लिखिए
उषा और नभ
उत्तर:- उषा – संध्या
नभ – धरती
लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)
- भोर के समय आसमान का रंग कैसा होता है?
उत्तर:- भोर के समय आसमान का रंग नीला और केसरिया आभा लिए होता है| आसमान की ये आभा बहुत ही मनोहारी होती है और प्रकृति में एक नयी ऊर्जा का संचार करती है|
- भोर में सूरज कैसा प्रतीत होता है?
उत्तर:- भोर के समय सूरज की सफ़ेद आभा विराजमान होती है, ऐसा प्रतीत होता है मानो नीली केसरिया ओढ़नी से कोई झाँक रहा है।
- भोर के अद्भुत दृश्य को क्या समाप्त कर देता है?
उत्तर:- जैसे-जैसे सूर्य की किरण आकाश में फलती हैं तो उन किरणों के प्रकाश से भोर का अद्भुत दृश्य समाप्त हो जाता है।
- सूरज की लालिमा से क्या धुल जाता है?
उत्तर:- सूरज की लालिमा अन्धकार रूपी काली स्लेट को लाल रंग की केसर से धुल देती है| और प्रकृति में नवजीवन का संचार कर देती है|
- कविता में प्रातःकाल में आकाश के लिए किन उपमाओं का उपयोग किया गया है?
उत्तर:- प्रात:काल के आकाश के दृश्य के लिए कविता में दो उपमाओं, ‘नीला शंख और राख से लीपा हुआ’ का उपयोग किया गया है|
लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)
- भोर के समय आसमान में नमी क्यों प्रतीत होती है?
उत्तर:- भोर के समय आसमान राख से लीपे गए चौके के सामान प्रतीत होता हैl जो चौका अभी सुखा नहीं है और नमी लिए है| ये चौका सूखने के लिए सूरज के चमकने का इंतज़ार कर रहा है| इसलिए आसमान में नमी प्रतीत होती है|
- नीले आसमान में सूरज की दमकती सफ़ेदी कैसी प्रतीत होती है?
उत्तर:- नीले अम्बर पर सूरज दमकते हुए अपनी सफेदी बिखेरता है| तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे कोई गोरी युवती नीले जल में स्नान कर रही हो| हवा और नमी के कारण सूर्य का प्रतिबिम्ब भी हिलता हुआ सा प्रतीत होता है| भोर के बाद जब नीले आकाश में सूर्य की ये सफ़ेद रौशनी फलती है तो प्रकृति में नये जीवन का संचार कर देती है|
- ‘उषा’ कविता में कवि ने अपने शब्दों के माध्यम से किसका चित्र खींचने का प्रयास किया है?
उत्तर:- कवि ने अपनी कविता ‘उषा’ में अपने शब्दों से गाँव की एक सुबह का गतिशील शब्द चित्रण किया है| इसके लिए उन्होंने सूरज का मानवीकरण भी किया है और आसमान के लिए ‘राख से लिपा हुआ, नीला शंख या नीला जल” जैसी विभिन्न उपमाओं का भी उपयोग किया है| कवि ने गाँव में प्रकृति के चक्र की गति का अपने शब्दों से अद्भुत चित्रण किया है|
- कवि ‘शमशेर बहादुर सिंह’ का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए |
उत्तर:- 1911 में देहरादून, उत्तराखंड में जन्मे कवि “शमशेर बहादुर सिंह” को आधुनिक हिंदी काव्य में एक अति विशिष्ट कवि के रूप में जाना जाता है| इन्होने प्रारंभिक शिक्षा देहरादून तथा उच्च शिक्षा प्रयागराज (इलाहाबाद) विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी। शमशेर ने कविता के अलावा निबन्ध, कहानी एवं डायरी विधा में भी लिखा तथा हिन्दी-उर्दू शब्दकोश का संपादन भी किया। इनकी प्रमुख काव्य रचनाएँ ‘चुका भी हूँ नहीं मैं, इतने पास अपने और उदिता : अभिव्यक्ति’ आदि हैं| इनकी प्रमुख पद्य रचना, ‘प्लाट का मोर्चा, दोआब’ आदि है । इन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा कबीर सम्मान से सम्मानित किया जा चूका है| इनकी मृत्यु 1993 में अहमदाबाद में हुई थी।
- कविता में कवि ने कौन सी उपमाएं उपयोग की हैं?
उत्तर:- कवि ने कविता में निम्न उपमाओं का उपयोग किया है
अँधेरे से युक्त आसमान के लिए ‘काली सिल’
भोर में नमी से युक्त वातावरण में उगते सूरज की लालिमा के लिए ‘स्लेट पर लाल खड़िया चॉक’
सुबह के आकाश के लिए ‘नीला शंख’
भोर के आकाश के लिए ‘राख से लिपा हुआ चौका’
नीले आसमान में चमकते सूरज के लिए ‘नीले जल में झिलमिलाती गोरी देह’
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)
- कविता ‘उषा’ का सारांश लिखिए।
उत्तर:- ‘उषा’ कविता में कवि ‘शमशेर बहादुर सिंह’ ने गाँव की सुबह के दृश्य का एक अद्भुत शब्द चित्र खींचा है| कवि कहते हैं, ‘भोर के समय आसमान का रंग नीले शंख के समान होता है| भोर में आकाश ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी गृहणी ने राख से चौका लीप रखा हो, जो अभी नमी लिए हुए गीला है और सूखने के लिए सूरज की किरणों की प्रतीक्षा कर रहा है| सूर्योदय के साथ चारो और लालिमा फ़ैल जाती है| जैसे अँधेरे रूपी काली सिल पर किसी ने रौशनी रूपी लाल केशर बिखेर दी हो| नीले आकाश में सफ़ेद रौशनी बिखेरता सूरज ऐसा लगता है जैसे कोई गोरी युवती नीले जल में नहा रही हो| हवा और नमी के कारण सूर्य का प्रतिबिम्ब हिलता हुआ प्रतीत होता है, जैसे जल में उठने वाली तरंगो में कोई प्रतिबिम्ब दिखाई देता है|
- कविता में भोर के दृश्य के चित्रण की व्याख्या कीजिये?
उत्तर:- कवि ने भोर के समय का अद्भुत चित्रण किया है| भोर के समय सूरज उगने से पहले काली रात का रंग आसमान से बाहर आने लगता है| इसलिए आकाश का रंग काली राख के समान धूसर प्रतीत होता है| जो ओस के कारण गीला हो गया है| कवि ने गाँव में प्रभात में चूल्हे को लीपते हुए महिलाओं की सुन्दर शब्द छवि बनायीं है और आकाश को राख से लिपे हुए चौके के सामान बताया है| जो सूखा नहीं है, इसलिए आसमान भी नमी लिए हुए प्रतीत होता है|
- “प्रात नभ था बहुत नीला शंख जैसे……. राख से लीपा हुआ चौका ( अभी गीला पड़ा है)” इन पंक्तियों का क्या आशय है?
उत्तर:- इन पंक्तियों में कवि ने गाँव की सुबह के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया है| कवि के द्वारा खींचा गया गतिशील शब्द चित्र अद्भुत है | कवि कहता है कि, ‘सुबह के समय आसमान किसी नीले शंख के सामान प्रतीत होता है| ओस के कारण वातावरण में नमी होती है| आसमान के धूसर रंग के कारण ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी गृहणी ने राख से चौका लीप रखा हो| और ये चौका नमी लिए प्रतीत होता है, जैसे ये सूखने के लिए सूर्य की किरणों की प्रतीक्षा कर रहा हो| भोर के आसमान का ये दृश्य बहुत ही पवित्र लगता है|
- “बहुत काली सिल जरा से लाल केसर से मल दी हो किसी ने” इन पंक्तियों का क्या आशय है?
उत्तर:- इन पंक्तियों में कवि ने भोर की सुन्दरता का एक अद्भुत गतिशील शब्द चित्र खींचा है| कवि कहता है कि जब आसमान में सूरज उगता है चारो तरफ लालिमा बिखेर देता है| ये दृश्य ऐसा प्रतीत होता है जैसे अँधेरे रूपी काली सिल पर किसी ने सूरज की रौशनी रूपी लाल केशर बिखेर दी हो और सिल को उस लाली से धो दिया हो| ये दृश्य ऐसा लगता है जैसे अँधेरी रात रूपी काली स्लेट पर किसी ने सूरज की लालिमा रूपी लाल खड़िया पोत दी हो| जिससे वो काली स्लेट केशर के सामान लाल दिखाई देने लगती है|
- “नील जल में या किसी की .. सूर्योदय हो रहा हैं।” इन पंक्तियों का क्या आशय है?
उत्तर:- इन पंक्तियों में कवि ने सुबह को होने वाले सूर्योदय का अद्भुत और सुन्दर शब्द चित्र खींचा है| कवि ने भोर के समय प्रकृति में होने वाले परिवर्तनो का वर्णन करके प्रकृति की गतिशीलता के सौंदर्य को बहुत ही सुन्दर तरीके से चित्रित किया है| कवि कहतें हैं कि सूर्योदय के साथ आसमान में सूरज की सफ़ेद आभा फ़ैल जाती है| आसमान का रंग जो रात के कारण काला धूसर था अब नीला दिखाई देने लगता है| ये नीले शंख के सामान प्रतीत होता है| नीले आसमान में सफ़ेद चमकता सूर्य बहुत ही सुन्दर दृश्य उत्त्पन्न करताहै| ऐसा लगता है मानो कोई गोरी युवती नीले जल में स्नान कर रही हो| हवा और नमी के कारण सूर्य का प्रतिमिम्ब हिलता हुआ प्रतीतहोता है| जैसे जल में उठती तंरगो में किसी युवती का प्रतिबिम्ब दिखाई दे रहा हो| भोर के समय सूर्योदय के साथ उषा का जादुई प्रभाव समाप्त हो जाता है और सूर्य की रोशनीप्रकृति में नए जीवन का संचार कर देती है|