Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Aroh Chapter 7 Poem Badal raag
‘Badal Raag’ is a beautiful poem introduced in the Class 12 CBSE syllabus that’s written by Suryakant Tripathi. The poem ‘Badal Raag’ is an anthem of revolution. The poet tries to express how ‘Badal’ brings about a sudden and fast change in the folds of nature by replacing the scorching heat with a cold breeze. This alteration has an impact on all creatures, from small animals to those in the deep sea.Using this metaphor of nature, the poet tries to highlight the sufferings of humans and how we all desperately need a revolution to get rid of all the agonies of life.
This is a beautiful philosophical piece of work by Suryakant Tripathi that will help students understand the depths of life. It will also prepare them mentally and emotionally to accept that life cannot be a straight line and that there will be struggles and difficulties, and that at times we might have to take a stand and bring about a revolution just to wash away the dirt and make the world a better place.
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CBSE Class 12 Hindi Aroh Important Questions Chapter 7 Poem Badal raag
While preparing for the CBSE Class 12 board exams, it is very important to practise the important questions from each chapter. Many times, the examiners include some of these important questions on your board paper, and solving them beforehand will help you prepare the answers in a better way. Also, you can refer to the NCERT solutions to check if your answer is in line withthe standard style of writing answers.
Here are some of the important questions from the chapter Badal raag that you must not miss.
Study Important Questions Class 12 Hindi Aroh पाठ -7 बादल राग
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक)
1.कवि ने किसे जल – प्लावन तथा किसे कीचड़ कहा है?
उत्तर– कवि ने क्रान्ति को जल प्लावन और पूंजीपतियों को कीचड़ कहा है ।
- निम्न शब्दों का शब्दार्थ बताइए|
त्रस्त – नयन , वज्र हुंकार तथा प्रफुल्ल जलज
उत्तर– त्रस्त–नयन – आँखों की व्याकुलता
प्रफुल्ल जलज – खिला हुआ कमल
वज्र हुंकार – भीषण हुंकार
- कवि के अनुसार दुनिया में कौन–सी चीज अस्थायी है?
उत्तर– कवि ने कविता में बताया है कि जीवन में सुख की स्थिति स्थायी नहीं बनी रह सकती है| अर्थान जीवन में सुख अस्थायी है|
- पूंजीपतियों को किस बात का भय सताता है?
उत्तर– पूंजीपतियों को हमेशा अपने खिलाफ होने वाली किसी क्रांति का भय सताता रहता है।
- कविता ‘ बादल राग ‘ में कवि किसके शोषण की बात कर रहा है?
उत्तर– कविता ‘बदल राग’ में कवि पूंजीपतियों के द्वारा मजदूरों के शोषण की बात कर रहा है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)
- कवि ने दुःख की छाया किसे कहा है?
उत्तर– कवि ने अपनी कविता में पूंजीपतियों के द्वारा गरीब और मजदूरों के शोषण की बात कहीं हैं| कवि कहता है कि पूंजीपतियों के अत्याचार का शिकार हमेशा गरीब और मजदूर ही होता है| और इस स्थिति को कवि ने दुःख की छाया बताया है|
- कवि के अनुसार क्रांति कौन करता है?
उत्तर– कवि के अनुसार बादल ही क्रांति के प्रेरक होतें हैं और क्रांति करते हैं| जो पूंजीपति वर्ग विशेषाधिकार प्राप्त है और सभी संशाधनो पर अपना अधिकार मानता है| वो पूंजीपति वर्ग क्रांति से अपने वैभव के शिखर से नीचे गिर जाता है और उसकी प्रभुसत्ता और घमंड भी चूर हो जातें हैं|
- कविता में कवि ने बादलों के लिए किस संबोधन का प्रयोग किया गया है?
उत्तर– कवि ने बादलों को क्रांति और विद्रोह का प्रतीक कहा है| कवि ने बादल के लिए ‘ ऐ विप्लव के वीर !‘ तथा ‘ऐ जीवन के पारावार !‘ जैसे संबोधनों का प्रयोग किया गया है। कवि ने बादलों को निम्न वर्ग की आकांक्षाओं रूपी अस्त्र–शस्त्र से भरी नौका के सामान कहा है, जिसकी गर्जना निम्न वर्ग को क्रांति के लिए जागृत कर देती है|
- कवि अपनी कविता में किसका आवाहन करता है और क्या कहना चाहता हैं?
उत्तर– कवि बादलों को क्रांति का प्रतीक मानता है इसलिए कवि अपनी कविता में बादलों का आवाहन करता है| कवि कहता है कि बदल बरसने से आम जनता और किसानो को राहत मिलती है| कवि शोषित वर्ग का आवाहन करते हुए कहता है कि बादलों से गिरने वाली बिजली जैसे बड़ी–बड़ी चट्टानों को भी बिखेर देती है ऐसे ही शोषित वर्ग की क्रांति पूंजीपति वर्ग के अभिमान को ख़त्म कर देती है|
- “रुद्ध कोष है , क्षुब्ध तोष …… ऐ जीवन के पारावार !” इन पंक्तियों के काव्य सौंदर्य की व्याख्या कीजिये|
उत्तर– कवि ने इन पंक्तियों में विशेषणों का सुन्दर प्रयोग किया है| कविता में कवि ने खड़ी बोली में सहजता से विचार अभिव्यक्त किये हैं और तत्सम शब्दों का उपयोग भी किया है| इन पंक्तियों में अनुप्रास अलंकार का प्रभाव है और संबोधन शैली का उपयोग किया गया है| विशेषणों के साथ संबोधन शैली से इन पंक्तियों का भाषिक सौन्दर्य अद्भुत बन गया है|
लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)
- पूंजीपतियों को अपने खिलाफ क्रांति का डर क्यों रहता है?
उत्तर– पूंजीपति वर्ग मजदूरों की मेहनत से अपने लिए अपार सम्पत्ति जमा करता है और मजदूर और गरीबों का ही शोषण करता है| पूंजीपति, कमज़ोर, और गरीब को और ज़्यादा कमज़ोर और गरीब बना देते हैं| लेकिन पूंजीपतियों को हमेशा ये डर भी सताता रहता है कि कहीं ये कमज़ोर वर्ग क्रान्ति ना कर दे| क्योंकि पूंजीपति को अपनी धन संपत्ति के छिन जाने का भय हमेशा बना रहता है|
- क्रांति से किसको हानि होती है और किसको लाभ होता है?
उत्तर– क्रांति से पूंजीपति और शोषक वर्ग की सत्ता समाप्त हो जाती है| कवि के अनुसार क्रांति से कमज़ोर वर्ग को लाभ होता| क्योंकि कमज़ोर वर्ग के पास खोने को कुछ नहीं है, लेकिन क्रांति के बाद उसे उसके अधिकार मिल जातें हैं और वो पूंजीपतियों के शोषण से भी मुक्त हो जाता है|
- कवि बादलों से क्या कह रहा है?
उत्तर– कवि बादलों को क्रांति का प्रतीक मानता है। कवि बादलों का आवाहन करते हुए कहता है, “ हवा के समुन्द्र में तैरने वाले मेघI आप आएं और अपनी क्रांति से कमज़ोर और दुखी लोगो को ख़ुशी दें। जैसे गर्मी से बेहाल लोग बादलों की गर्जना और उनकी बारिश से खुश होतें हैं। उस तरह ही क्रांति से गरीबों और मजदूरों को पूंजीपतियों के शोषण और उत्पीड़न से मुक्ति मिलती है और उन्हें ख़ुशी प्राप्त होती है|”
- कवि ने पूंजीपतियों की किस बात पर कटाक्ष किया है और बादलों को किसका प्रतीक बताया है?
उत्तर– ‘महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ ने अपनी कविता के माध्यम से पूंजीपतियों की विलासिता पर कटाक्ष किया है तथा बादलों को क्रांति का प्रतीक बताया है। कवि कहते हैं कि पूंजीपति मजदूरों का शोषण करतें हैं और उनके ऊँचें महल गरीबों को भयभीत करतें हैं। पूंजीपति गरीबों को और गरीब बना देते हैं| आगे कवि कहते हैं कि क्रांति का बिगुल हमेशा गरीबों ने ही बज़ाया है|
- कवि ने कविता में पौधों का मानवीकरण कैसे किया है?
उत्तर– कवि ने कविता में छोटे पौधों को शोषित वर्ग के रूप में दर्शया है| कवि कहता है कि बादलों की बारिस से ज़मीन में गहराई में दबे बीज अंकुरित हो जाते हैं और लहलहाने लगते हैं, जैसे छोटे बच्चे ख़ुशी में झूम रहें हों| कवि कहता है कि इन छोटे पौधों की संख्या बहुत है| और ये ऐसे प्रतीत हो रहें हैं जैसे हाथ हिलाकर क्रांति का स्वागत कर रहें हों| कवि के द्वारा पौधों का मानवीकरण और फिर उनमे मानवीय भावनाओ की यह कल्पना अत्यंत सुन्दर है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)
- बादलों के कारण प्रकृति में क्या परिवर्तन होतें हैं?
उत्तर– कवि कहता है कि बादल प्रकृति में बहुत से परिवर्तन ला देते हैं| जब बादल आतें हैं तो वो आसमान को भर देतें हैं| इसके बाद तेज़ तूफ़ान आने लगता है| बादलों में तेज़ गर्जना के साथ बिजली कडकने लगती है| बिजली की तेज गर्जना से धरती कांपने लगती है| इसके बाद तेज वर्षा शुरू हो जाती है| बादलो से बरसने वाले इस पानी से ज़मीन के नीचे दबे बीज अंकुरित हो जातें हैं और हवा के झोंको से झुमने लागतें हैं| चारो तरफ हरियाली छा जाती है| बादल किसानो को भी ख़ुशी देते हैं और पशु पक्षी भी वर्षा ऋतू में ख़ुशी के गीत गाने लागतें हैं| वातावरण भी शीतल और स्वच्छ हो जाता है|
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का संक्षिप्त जीवन – परिचय लिखिए।
उत्तर– ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ जी का जन्म 1899 में मेदनीपुर, बंगाल (तब महिषादल नामक रियासत) में हुआ था। ये छायावाद युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं| इन्होंने रामकृष्ण मिशन , अद्वैत आश्रम , बैलूर मठ से दर्शन शास्त्र का अध्ययन किया तथा आश्रम के पत्र ‘ समन्वय ‘ का संपादन भी किया था। इनकी मृत्यु 1961 में प्रयाग में हुयी थी। इनकी प्रमुख रचनाएँ अलका, अप्सरा, प्रभावती, निरुपमा, काले कारनामे, आदि हैं। इनके द्वारा लिखित प्रमुख कहानी संग्रह ‘लिली, सखी और सुकुल की बीवी’ आदि हैं|
- कविता ‘बादल राग‘ का सारांश लिखिए।
उत्तर– ‘बदला राग’ कविता महाकवि ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ जी ने लिखी है| कविता सर्वहारा क्रांति के प्रेरक गीत के सामान है| कविता में इन्होने बादलों को क्रांति का प्रतीक बताया है| उनके आने से प्रकृति में आने वाले सकरात्मक परिवर्तनों को बताया है| कवि कहतें हैं कि जब बादल आतें हैं तो ज़मीन में दबे बीज भी अंकुरित हो जाते हैं औरे चारो तरफ हरियाली छा जाती है| बादलों के आने से किसानो को ख़ुशी मिलती है| कवि ने बादलो की गर्जना को क्रांति के समान कहा है| जैसे बादलो की गर्जना से धरती काँप जाती है और बदलो से गिरने वाली बिज़ली बड़ी–बड़ी चट्टानों को भी तोडकर बिखेर देती हैं| ऐसे ही क्रांति से पूंजीपति वर्ग का आधिपत्य टूट कर समाप्त हो जाता है और गरीब और मजदूर को उसका अधिकार मिलता है| इसलिए कवि ने बादलों को नवनिर्माण और क्रांति का प्रतीक बताया है| कवि कहता है कि बादलों से शोषित वर्ग को क्रांति की प्रेरणा मिलती है| जो पूंजीपति वर्ग बेहद शक्तिशाली है और हर सुख सुविधा उसके पास है और ये पूंजीपति वर्ग हमेशा गरीब और मजदूर का शोषण करता है| क्रांति से वो पूंजीपति वर्ग भी डरता है|
- “तिरती हैं समीर – सागर पर ….. तक रहे हैं , ऐ विप्लव के बादल” इन पंक्तियों का क्या आशय है ?
उत्तर– इन पंक्तियों में कवि बादलों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि बादलआसमान में हवा के समुन्द्र में तैरते हैं| बादल एक नौका की तरह प्रतीत होतें हैं, जिसमें गरीबो की आकांक्षाओं के अस्त्र–शस्त्र भरें हैं| जब बादल गरज़ते हैं तो ज़मीन में नीचे दबे बीज अंकुरित होने के लिए प्रेरित हो जातें हैं और बादलों की बारिश से वो अंकुरित होकर झुमने लगतें हैं| इस प्रकार बादलों की गर्जना दबे–कुचले, गरीब और शोषित वर्ग को भी क्रांति के लिए प्रेरित करती है| बादलों की गर्जना शोषित वर्ग के मन में पूंजीपतियों के शोषण से मुक्ति की आशा जागृत करती है| और बादलों की गर्जना से पूंजीपति वर्ग के मन में भय उत्पन्न होता है|
- “फिर – फिर बार – बार गर्जन ……… विप्लव – रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।“ इन पंक्तियों का आशय क्या है?
उत्तर– इन पंक्तियों में कवि ने बादलों की गर्जना की शक्ति को बताया है और बादलों को क्रांति का प्रतीक बताया है| कवि बादलों को संबोधित करते हुए कहते हैं कि “हे बादल जब आप गर्जना करते हो तो आपकी गर्जना भीषण वज्रपात की भांति होती है| धरती आपकी गर्जना से काँप उठती है| आपके वज्रपात से बड़े–बड़े पर्वत भी टूट कर बिखर जातें हैं| जिसके कारण संसार भय से हृदय थाम लेता है| यह दृश्य बताता है कि जब क्रांति होती है तो उससे बड़े–बड़े पूंजीपति धराशायी हो जाते है| वो अपने उन्नति के शिखर से गिरकर नीचे आ जातें हैं, उनका अभिमान टूटकर चूर हो जाता है| मजदूर और शोषित वर्ग को पूंजीपतियों के शोषण से मुक्ति मिलती है| क्रांति सदा शोषित और मजदूर वर्ग को ख़ुशी देती है| पूंजीपति वर्ग हमेशा क्रांति से भयभीत रहता है|