Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Aroh Chapter 8 Poem Kavitabali, Laxman – Murcha aur Ram ka Bilap
Kavitabali and Laxman: Murcha aur Ram ka Bilap are two beautiful pieces penned by Tulsidas that are included in the CBSE syllabus for Class 12. In Kavitabali, Tulsidas has aesthetically portrayed the essence of life in that era. The legend of Laxman Murcha and Ram Ka Bilap takes us through Ram’s agony when Laxman became unconscious.
Both of these pieces are the original writings of the great poet Tulsidas. Tulsidas had a very distinct writing style that combined deep thoughts with excellent use of language. Students must study his writings to develop a greater understanding of the language. Studying his writings will help you develop the skill of using language in a simple way to communicate great ideas.
You can easily download the Free PDF of CBSE Class 12 Hindi Aroh Chapter 8 Poem Kavitabali, Laxman – Murcha aur Ram Ka Bilap from our website, Extramarks.In addition to the NCERT books, Extramarks also presents you with all the necessary study materials that include Important Questions, CBSE revision notes, CBSE sample papers, CBSE previous year question papers, NCERT solutions, and CBSE extra questions.
When you don’t have access to a physical copy, the PDF version of the NCERT books can come in handy. Also, carrying all the materials is not always feasible, so you can access any study material you want through Extramarks. You can visit the website using a mobile, tablet, or laptop, or download the app.
All the study materials available on Extramarks, including the important questions and previous years’ question papers, are downloadable on your phone or laptop. You can also try to solve these questions by taking a printout and getting an idea of the format.
Chapter 8 of the Class 12 Hindi NCERT Book is available here. You may find links to Class 12 Hindi Notes, NCERT Solutions, Important Questions, Practice Papers, and more following each chapter. For crucial study material from the NCERT Book for Class 12 Hindi, Aroh Kavitabali, Laxman12 Hindi Notes, NCERT Solutions, Important Questions, Practice Papers, and more following each chapter. For crucial study material from the NCERT Book for Class 12 Hindi, Aroh Kavitabali, Laxman-Murcha-Ur-Ram-Ka-Bilap, scroll down.
The Extramarks section contains free revision notes and important questions for the Aroh Kavitabali, Laxman-murcha, and Ram Ka Bilap topics.Additionally, you can assess your preparedness level by taking an online test. Students can find class- and chapter-specific Class 12 Aroh Kavitabali, Laxman – murcha aur ram ka bilap NCERT notes are available here, and they are extremely useful for fully understanding the subject and its chapter.The class 12 NCERT Aroh Kavitabali, Laxman-Murcha, and Ram-Ka Bilap Hindi notes are available.
Important Questions for Class 12
Hindi Aroh
Chapter 8 – कवितावली , लक्ष्मण मूर्छा और राम का विलाप
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1: किसबी, कुल, तथा बनिक का शब्दार्थ बताइये।
उत्तर: किसबी – मजदूर , श्रमिक
कुल- वंश , खानदान
बनिक: रोजगारी ,सौदागर
2: खेती न ….. को भिखारी को न….. बलि ,” रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये।
उत्तर: इस पंक्ति में रिक्त स्थानों की जगह – “खेती न किसान को, भिखारी को न भीख ,बलि” हैं।
3: श्री राम व्याकुल क्यों हो जाते हैं ?
उत्तर: जब श्री राम के छोटे भाई लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं , तब उनको देखकर श्री राम व्याकुल हो जाते हैं।
4: संजीवनी पर्वत लेकर कौन आता है ?
उत्तर: जब लक्ष्मण जी मूर्छित हो जाते हैं तब उस विपदा के समय में जाकर हनुमान जी संजीवनी पर्वत ले कर आते हैं।
5: लक्ष्मण के बिना श्री राम का जीवन कैसा है?
उत्तर: लक्ष्मण जी के बिना श्री राम जी का जीवन बहुत ही अकेला और दयनीय हो जाता है जैसे पानी के बिना मछली , कस्तूरी के बिना हिरन , पंखों के बिना पंछी।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1: कौन-सी आग सबसे बड़ी है तथा उसे कौन बुझा सकता है ?
उत्तर: तुलसीदास जी ने रामायण में पेट की आग को सबसे बड़ी आग माना है , वो कहते हैं कि इस आग को सिर्फ परमात्मा रुपी श्री राम ही बुझा सकते हैं।
2: लक्ष्मण के मूर्छित होने पर श्री राम के मन में कौन-सा प्रश्न चिंता उत्पन्न करता है?
उत्तर: जब ब्रम्हशक्ति बाण लगने पर श्री लक्ष्मण मूर्छित होकर जमीन पर गिर जाते हैं , तब उनके बड़े भाई श्री राम बहुत दुखी हो जाते हैं और वह खुद को दोष देने लगते हैं कि अगर मैं वन में नहीं आता तो ये सब नहीं होता क्यूंकि वो पहले ही अपनी पत्नी सीता को खो चुके होते हैं और उसके बाद उनके प्रिय छोटे भाई लक्ष्मण भी मूर्छित होकर गिर जाते हैं। वह दुखी होकर इस सब का ज़िम्मेदार खुद को मानते हैं और इस दुःख को बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं।
3: तुलसीदास जी कैसा जीवन जीते हैं ?
उत्तर: तुलसीदास जी स्वाभिमान के साथ एक बहुत ही सरल जीवन व्यतीत करते हैं और भगवान राम की भक्ति में लीन रहते हैं। वह भीख मांग कर अपना पेट भरते हैं और मंदिर में ही सो जाते हैं।
4: तुलसीदास जी अपने बेटे का विवाह क्यों नहीं करना चाहते हैं ?
उत्तर: तुलसीदास जी इस बात को जानते हैं कि समाज के चलन के हिसाब से बेटियों को शादी के बाद अपनी जाति बदलनी पड़ती है। चूँकि वह एक बहुत ही समझदार व्यक्ति हैं तो वह नहीं चाहते कि किसी को बेटी उनके बेटे से शादी करके अपनी जाति बदले और समाज कि इस कुरीति का शिकार बने जिसको तुलसीदास जी बिल्कुल भी सही नहीं मानते हैं।
5: अकाल के समय क्या परिस्थिति है?
उत्तर: जब जब अकाल पड़ जाता है तब किसान अपनी खेती नहीं कर पाता है , इससे बहुत समस्याएं भी जन्म लेतीं हैं जैसे किसान का भूख से मरना , भिखारी को भीख न मिलना , बनिया की बिक्री न होना, इत्यादि।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1: तुलसीदास जी के अनुसार , पेट की आग को कौन बुझा सकता है ?
उत्तर: गोस्वामी तुलसीदास जी का मानना है कि अकाल के समय में जो आग मनुष्य के पेट में उत्पन्न होती है , उस आग को भगवान की भक्ति से ही शांत किया जा सकता है। वो इस बात को स्वीकार करते हैं कि इंसान का मेहनती होने के साथ-साथ उस पर ईश्वर की कृपा होनी बहुत ज़रूरी है , तभी इंसान का उद्धार हो सकता है। तुलसीदास जी कहते हैं कि पेट की आग बुझाने के लिए राम रुपी बादल का बरसना ज़रूरी है।
2: तुलसीदास जी ने अपने काल की आर्थिक दशा का वर्णन किस प्रकार किया है ?
उत्तर: तुलसीदास जी ने अपने काल की आर्थिक दशा का वर्णन करते हुए बताया है कि उस समय में ऐसी परिस्थिति थी कि लोग किसी भी तरह का छोटा-बड़ा काम करने के लिए तैयार थे , उन्हें यह परवाह नहीं थी कि उनके काम को देखकर कोई क्या कहेगा। लोगों को बस मतलब था तो अपनी भूख रूपी आग बुझाने से। तुलसीदास जी कहते हैं कि उस समय पर ऐसे हालात थे कि लोग अपने पेट की आग बुझाने के लिए अपनी संतान तक को बेचने से पहले एक बार भी नहीं सोचते थे।
3: लक्ष्मण के मूर्छित होने पर राम जी किस चिंता से ग्रसित हो जाते हैं?
उत्तर: जैसे ही श्री लक्ष्मण मूर्छित हो कर भूमि पर गिर जाते हैं तो उनकी इस दशा को देखकर श्री राम जी उनकी इस दशा के लिए खुद को ज़िम्मेदार मानते हैं और बहुत ही ज़्यादा दुःखी होकर यह सोचने लगते हैं कि अगर वह लक्ष्मण को लेकर वन में नहीं आते तो शायद यह सब नहीं हुआ होता। वो यह सोचकर परेशान होते हैं कि अगर लक्ष्मण को कुछ हो गया तो वह घर वापस जाकर माता-पिता को क्या जवाब देंगे क्यूंकि वह अपनी पत्नी को खोने का अभियोग तो सुन लेंगे लेकिन भाई की मृत्यु की ज़िम्मेदारी के लिए लोगों के व्यंग्य कैसे सुन पाएंगे।
4: राम जी ने यह बात क्यों कही कि लक्ष्मण जैसा भाई इस संसार में दूसरा कोई नहीं है?
उत्तर: श्री लक्ष्मण जी , श्री राम जी के सौतेले भाई थे मतलब उनके पिता तो एक ही थे लेकिन दोनों की माताएं अलग अलग थीं लेकिन श्री राम जी ने अपनी सभी माताओं और भाइयों को एक समान ही माना। श्री राम जी इस बात को मानते हैं कि एक माँ की कोख से जन्म न लेने के बाद भी लक्ष्मण ने उनके लिए अपना सारा जीवन त्याग कर दिया , और वह हमेशा ही उनकी परछाईं के रूप में उनके साथ रहे। राम पर आने वाली हर मुसीबत में लक्ष्मण ने उनका साथ दिया और जब श्री राम जी बनवास जा रहे थे तो लक्ष्मण जी ने भी उनके साथ वन में जाने का फैसला किया। इसीलिए श्री राम जी कहते हैं कि उनको लक्ष्मण जैसा भाई कभी नहीं मिल सकता।
5: तुलसीदास जी अपनी बेटी की शादी के सम्बन्ध में क्या विचार प्रस्तुत करते हैं ?
उत्तर: तुलसीदास जी शादी को लेकर अलग विचार रखते हैं। वह इसको लेकर समाज की कुछ रीतियों को सही नहीं मानते हैं। तुलसीदास जी कहते हैं कि बेटे और बेटी में फर्क होता है क्यूंकि जब बेटी शादी करके जाती है तो उसको अपने पति की जाति के हिसाब से ही अपनी जाति बदलनी पड़ती है। और अगर हम बेटी की शादी नहीं करते हैं तो समाज के लोग उसके लिए अपनी एक अलग ही विचारधारा बना लेते हैं और अगर बेटी की शादी किसी अलग जाति या धर्म में कर दी जाए तो उसके लिए भी लोग कई तरह की बातें बनाते हैं और उसको गलत नज़र से देखने लगते हैं ,जिसकी तुलसीदास जी कड़ी निंदा करते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1: कवितावली का सारांश लिखिए।
उत्तर: गोस्वामी तुलसीदास जी इस कविता के पहले छंद में भूख रुपी आग की बात करते हैं। वह कहते हैं कि मनुष्य यह जो काम और मेहनत करता है , उसकी वजह पेट पालना ही होता है। तुलसीदास जी कहते हैं कि एक अच्छा जीवन जीने के लिए ,पेट भरने के लिए काम करना बहुत ज़रूरी है। जब जब आपदा आती है तो इंसान अपना पेट भरने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है फिर चाहे वो अपने बेटे और बेटी को बेचना ही क्यों न हो । वह कहते हैं कि इस कष्ट रुपी समय में भगवान की भक्ति से ही मनुष्य का उद्धार हो सकता है और उसका पेट भरने के लिए राम रुपी बादलों का बरसना बहुत ज़रूरी है। इसके दुसरे छंद में तुलसीदास जी कहते हैं कि अकाल के समय में मनुष्य अपने काम और जीवन यापन से विहीन हो चुका होता है। किसान अपनी किसानी से , व्यापारी अपने व्यापार से विहीन हो चुका होता है। वह कहते हैं कि इस समस्या का समाधान श्री राम जी ही दरिद्रता रुपी रावण को मारकर कर सकते हैं।
अपने आखिरी छंद में तुलसीदास जी बताते हैं कि वह भगवान् राम जी के बहुत बड़े भक्त हैं और उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि कोई भी उनके बारे में क्या विचार रखता है। वह एक बहुत ही सरल जीवन जीते हैं , भीख मांगकर खाते हैं और मंदिर में ही सोते हैं। इस प्रकार वह खुद को संसार के मायारूपी बंधनों से मुक्त मानते हैं।
2: तुलसीदास जी ने अपना स्वाभिमान किस प्रकार प्रदर्शित किया है ?
उत्तर: इस कविता के आखिरी छंद को पढ़कर तुलसीदास जी के स्वाभिमानी जीवन के बारे में पता चलता है। इसमें वह कहते हैं कि उन्हें समाज में हो रहे उनके विरोध से कोई लेना देना नहीं है। इसका मतलब है कि समाज में उनको कोई कुछ भी समझे , इस बात से उनको कोई भी फर्क नहीं पड़ता है। क्यूंकि उनके जीवन का उद्देश्य श्री राम की भक्ति करने और उनमे विलीन रहने के अलावा और कुछ भी नहीं है। वह खुद को सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त साधू मानते हैं और वो कहते हैं कि साधु की कोई भी जाति नहीं होती है। वह भीख मांगकर खाते हैं और मंदिर में रहकर सादा जीवन व्यतीत करते हैं।
3: जब लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं तब राम विलाप करते हुए क्या कहते हैं ?
उत्तर: जब रावण के साथ युद्ध में ब्रम्हशक्ति बाण लगने के कारण लक्ष्मण जी मूर्छित हो जाते हैं तो श्री राम जी उनकी इस दशा को देखकर बहुत दुखी होकर विलाप करने लगते हैं और कहते हैं कि प्रिय छोटे भैया तुम्हारे बिना तो मेरे जीवन का कोई अर्थ ही नहीं है , तुम्ही मेरी शक्ति हो और तुम्हारे बिना तो मैं एकदम असमर्थ हूँ। तुम्हारे बिना मेरी दशा एक बिन पानी के मछली और बिन पंख के पंछी जैसी हो गयी है। श्री राम जी विलाप करते हैं और सोचते हैं की अगर मैंने माता की वन जाने की बात को नहीं माना होता या फिर लक्ष्मण को वन लेकर नहीं आता तो आज लक्ष्मण इस दशा में नहीं होते। वह सोचते हैं कि घर वापस जाकर पत्नी को खो देने का कटाक्ष तो किसी तरह बर्दाश्त कर लेंगे लेकिन भाई को गवां देने के लिए वो खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाएंगे।
4: हनुमान जी ने शोक के वातावरण में वीरता का रस किस प्रकार भर दिया?
उत्तर: जब श्री लक्ष्मण जी बाण लगने से घायल हो गए थे तो उस समय में श्री राम की सेना शोक में डूब गयी थी , सबसे ज़्यादा दुःखी श्री राम हो गए थे और लक्ष्मण के समीप बैठकर विलाप कर रहे थे। इसके बाद वहां के राजवैद्य संजीवनी बूटी को ही एक आखिरी सहारा बताते हैं और हनुमान जी उस संजीवनी बूटी की खोज में निकल पड़ते हैं। लेकिन जब सूर्योदय का समय आता है तो सारी सेना शोक में डूब जाती है क्यूंकि वैद्य ने बोला होता है कि सूर्योदय से पहले संजीवनी लक्ष्मण को मिल जानी चाहिए। लेकिन सूर्योदय होने से पहले ही हनुमान जी संजीवनी बूटी लाकर राम जी के चरणों में रख देते हैं। यह देखकर श्री राम की पूरी सेना में ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है। इसके बाद श्री राम जी हनुमान जी की वीरता पर प्रशन्न होकर उनकी खूब प्रशंसा करते हैं और यह माहौल शोक के वातावरण को वीरता के रस में परिवर्तित कर देता है।
5: कविता ” लक्ष्मण -मूर्छा और राम का विलाप ” का सारांश लिखिए।
उत्तर: इस कविता में रामायण के एक छोटे से भाग की चर्चा की गयी है जिसमे राम के भाई लक्ष्मण के मूर्छित होने से लेकर उनके होश में आने तक के बारे में बताया गया है। जब रावण के साथ युद्ध के दौरान मेघनाद द्वारा शक्तिबाण मारे जाने की वजह से लक्ष्मण घायल होकर मूर्छित हो जाते हैं , जिससे श्री राम की पूरी सेना शोक में डूब जाती है। इस सब से श्री राम जी बहुत दुखी हो जाते हैं और इसके लिए खुद को दोषी मानने लगते हैं। वह सोचते हैं कि मुझे वन में अपनी पत्नी और भाई को अपने साथ में आने ही नहीं देना चाहिए था क्यूंकि वह उन दोनों से बहुत स्नेह करते हैं। ऐसे में वहां के राजवैद्य संजीवनी बूटी को जान बचाने का एक मात्र उपाय बताते हैं और हनुमान जी को बूटी लाने का कार्यभार सौंपा जाता है। सूर्योदय का समय पास आने के साथ ही पूरी सेना चिंता में डूब जाती है लेकिन तभी हनुमान जी संजीवनी बूटी लाकर पूरी सेना में वीरता का रस भर देते हैं। संजीवनी मिलते ही लक्ष्मण जी मूर्छा से जाग जाते हैं , इससे पूरी राम सेना ख़ुशी में डूब जाती है। जब यह बात रावण को पता चलती है तो वह राम से टक्कर लेने के लिए अपने भाई कुम्भकर्ण को जगाता है लेकिन जब कुम्भकर्ण जागता है तो वह रावण को सावधान करते हुए कहता है कि सीता माँ जो साक्षात् माँ जगदम्बा का रूप हैं , तुमने उनका हरण करके बहुत गलत किया है और इसका अंजाम तुम्हें भुगतना ही पड़ेगा।