Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Vitan Chapter 1 – Silver Wedding
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Study Important Questions Class 12 Hindi वितन Chapter 1 – सिल्वर वेडिंग
अति लघु उत्तरीय प्रश्न (1 अंक )
- जब यशोधर बाबू रिटायर हुए, तब उनका वेतन कितना था?
उत्तर: जब यशोधर बाबू रिटायर हुए उस समय उनका वेतन 1500 रूपये प्रतिमाह था।
- यशोधर बाबू ने मैट्रिक की परीक्षा किस स्कुल से पास की थी?
उत्तर: यशोधर बाबू ने ‘रेम्जे स्कूल, अल्मोड़ा’ से अपनी मैट्रिक की परीक्षा पास की थी।
- यशोधर बाबू की शादी कब हुई थी?
उत्तर: यशोधर बाबू की शादी 6 फरवरी सन 1947 हुई थी।
- यशोधर बाबू की सिल्वर वेडिंग का आयोजन क्यों हुआ था?
उत्तर: यशोधर बाबू की सिल्वर वेडिंग का आयोजन उनकी शादी के 25 वर्ष पूरे होने की ख़ुशी में किया गया था।
- किशनदा ने अपना जीवन किस काम के लिए समर्पित कर दिया था?
उत्तर: किशनदा ने समाज सेवा जैसे अच्छे कामो के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था|
लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)
- किशन दा अपनी ज़वानी के दिनों में कैसी शरारते किया करते थे?
उत्तर: किशनदा अपनी ज़वानी के दिनों में खूब शरारतें किया करते थे जैसे- किसी की मुर्गी चुराकर उसकी गर्दन मरोड़ कर मार देते थे, किसी के खेत से ककड़ी चुरा लेते थे और क्लास की पीछे की खिड़की से कूदकर चोरी से सिनेमाघर में सेकण्ड शो में फिल्मे देखने चले जाते थे|
- यशोधर बाबू के गाँव के घर की क्या हालत थी?
उत्तर: यशोधर बाबू के गाँव का पुस्तैनी घर बहुत ही पुराना था| अब उसमें कई हिस्सेदार बन गए थे| यशोधर बाबू किसी भी हिस्सेदारी के विवाद में नहीं पड़ना चाहते थे इसलिए वो गाँव नहीं जाते थे| जिस कारण लम्बे समय तक उस घर की देखभाल या मरम्मत नहीं हुई थी| इसलिए उस घर की स्थिति अब बहुत ही ज़्यादा ख़राब हो चुकी थी|
- यशोधर बाबू अहमदाबाद क्यों नहीं जा पाए थे?
उत्तर: यशोधर बाबू की पत्नी और उनके बच्चे नहीं चाहते थे कि वो अहमदाबाद जाएँ| इसलिए यशोधर बाबू अपने जीजा जी का हाल जानने के लिए भी अहमदाबाद नहीं जा पाए थे|
- यशोधर बाबू की पत्नी अपनी बेटी की सलाह पर क्या करने लगी थी?
उत्तर: यशोधर बाबू पुराने विचारों के आदमी थे इसलिए वो आधुनिकता से दूर रहते थे| लेकिन अब यशोधर बाबू की पत्नी उनकी बेटी की सलाह पर आधुनिकता को अपनाती जा रही थीं, जैसे ऊँची हिल की सेंडल पहनना, बिना बाजू वाला ब्लाउज पहनना, बाहर का खाना खाना, ये सब चीजें यशोधर बाबू को पसंद नहीं थीं|
- ‘अर्ली टू बैड एंड अर्ली टू राइज, मेक्स ए मैन हैल्थी,वेल्थी एंड वाइज’l इस वाक्य का मूलभाव स्पष्ट करेंl
उत्तर: यह वाक्य अक्सर किशनदा, यशोधर बाबू से कहा करते थेl किशनदा का मानना था कि रात ज़ल्दी सोने और सुबह को ज़ल्दी उठने की आदत आदमी को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखती है।
लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)
- दफ़्तर में यशोधर बाबू के साथ क्या घटना हुई थी?
उत्तर: यशोधर बाबू के ही दफ़्तर में काम करने वाले एक नए युवक ने उनके साथ बदतमीज़ी की थी। यशोधर बाबू अपनी घड़ी का समय टेलीविजन या रेडिओ से मिलाते थे क्योंकि वो मानते थे कि उनके दफ़्तर की घडी सुस्त है| शाम को दफ़्तर से घर जाते समय यशोधर बाबू ने उस लड़के के साथ जब मज़ाक किया तो जवाब में उस लड़के ने यशोधर बाबू के साथ बदतमीज़ी से बात की थी|
- इस पाठ के आधार पर, पाठ में दिए गए वाक्य ‘जो हुआ होगा’ के विषय में कुछ बताएl
उत्तर: किसी की मृत्यु हो जाने पर किशन दा बोला करते थे ‘जो हुआ होगा’| किशन दा की मृत्यु हो जाने पर यशोधर बाबु ने लोगो से मौत का कारण जानना चाह तो लोगो ने कहा ‘जो हुआ होगा’| तब यशोधर बाबू को इस वाक्य का अर्थ समझ आया| ‘जो हुआ होगा’ अर्थात ज्ञात नहीं होना क्योंकि किशन दा की मौत क्यों हुई ये कोई भी नहीं जानना चाहता था|
- यशोधर बाबू साइकिल क्यों चलाते थे?
उत्तर: यशोधर बाबू पुराने विचारों के आदमी थे और फ़िज़ूल खर्च बिलकुल नहीं करते थे| वो अपने ऊपर ना के बराबर ही खर्च किया करते थे| यशोधर बाबु कहीं भी जाने के लिए साईकिल का ही उपयोग करते थे| वो अपने दफ़्तर भी साइकिल पर ही जाया करते थे| क्योंकि बसों या रिक्शा में पैसे खर्च करना भी उन्हें फ़िज़ूल खर्च ही लगता था| लेकिन अब उनके बच्चे बड़े हो गए थे और उनके बच्चो को उनका साईकिल पर घूमना अच्छा नहीं लगता था इसलिए अब यशोधर बाबू पैदल ही दफ़्तर जाया करते थे|
- यशोधर बाबू को दफ्तर से घर लौटने में देर क्यों हो जाती थी?
उत्तर: यशोधर बाबू पुराने विचारों के थे जबकि उनके बच्चे आधुनिक विचारों के थे, जिस कारण उनके और उनके बच्चो के मध्य वैचारिक मतभेद रहते थे| इसलिए यशोधर बाबू परिवार के साथ कम समय ही बिताया करते थे| वो दफ्तर से लौटते समय सबसे पहले बिरला मंदिर उद्यान में प्रवचन सुना करते थे फिर वो कुछ समय पहाड़गंज में बिताते थे| इसके बाद वो घर के लिए सब्जी या अन्य खरीदारी करते थे और अपने मित्रो से मिलते थे| इस तरह रात्रि को 8 बजे तक वो दफ़्तर से घर वापस आया करते थे|
- यशोधर बाबू को अपने घर पर आना अच्छा क्यों नहीं लगता था?
उत्तर: यशोधर बाबू पुराने विचारों के थे जबकि उनके बच्चे आधुनिक विचारों के थे| अब उनकी पत्नी भी अपने बच्चो की सलाह मानकर अधुनिक होती जा रहीं थी| यशोधर बाबू को ये आधुनिकता अच्छी नहीं लगती थी| इन बातों को लेकर यशोधर बाबू और उनके परिवार के बिच मतभेद रहने लगे थे| जब तक उनके बच्चे पढ़ते थे तो वे उनका सम्मान करते थे| लेकिन अब बच्चे बड़े हो गए थे और नौकरियां करने लगे थे| अब यशोधर बाबू के बच्चे उनका सम्मान नहीं करते थे और ना ही उनकी बात मानते थे| बल्कि अब यशोधर बाबू के बच्चे उनके पुराने विचारों को लेकर उनका मज़ाक बनाने लगे थे और उनसे बहस भी करने लगे थे| इसलिए अब यशोधर बाबू को घर में रहना अच्छा नहीं लगता था|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)
- यशोधर बाबू समय के साथ बदलने में असफल क्यों रहे?
उत्तर: समय के साथ बदलने में यशोधर बाबू निम्न कारणों से असफल रहे :-
- यशोधर बाबू, किशन दा को अपना आदर्श मानते थे और उनके विचारों का ही अनुसरण करते थे|
- यशोधर बाबू अपने बुजुर्गों का बहुत सम्मान करते थे जिस कारण उन्हें आधुनिक जीवनशैली पसंद नहीं थी|
- किशन दा की सादगीपूर्ण जीवनशैली और विचारों से यशोधर बाबू बहुत ज़्यादा प्रभावित थे| और यशोधर बाबू को भी सादगीपूर्ण जीवन बहुत अच्छा लगता था|
- यशोधर बाबू को अपनी साधारण जीवनशैली और पहनावा बहुत अच्छा लगता था इसलिए उन्होंने कभी खुद को बदलने का प्रयास भी नहीं किया|
- यशोधर बाबू का व्यक्तित्व समय के साथ आ रहे सामाजिक बदलावों के साथ तालमेल नहीं बिठा पाया, क्यों?
उत्तर: यशोधर बाबू पुराने विचारों से प्रभावित थे और उन्हें अपनी पुरानी जीवन शैली ही अच्छी लगती थी| समय के साथ उनका परिवार आधुनिकता को अपनाता चला गया लेकिन यशोधर बाबू, किशनदा के पुराने विचारों से प्रभावित रहे| अक्सर वो एक वाक्य बोला करते थे ‘सम हाउ इनप्रॉपर’| उनका ये वाक्य उनके मन की असंतोषजनक स्थिति को ही दर्शाता था| इससे पता चलता था कि यशोधर बाबू समय के साथ खुद को बदल नहीं पा रहे थे| यशोधर बाबू का मानना था कि समाज और मनुष्य के आधुनिक विचार विपरीत दिशाओं में चलने वाले दो पहियों की तरह हैं| जिनसे समाज आगे नहीं बढ़ सकता है| इसलिए उन्होंने कभी आधुनिकता को अपनाकर अपने व्यक्तित्व को बदलने का प्रयास भी नहीं किया| जिस कारण यशोधर बाबू समय के साथ अपने व्यक्तित्व को बदल पाने में असफल रहे|
- कहानी सिल्वर वेडिंग का मूल संदेश क्या है?
उत्तर: कहानी ‘सिल्वर वेडिंग’ के द्वारा लेखक ने समय के साथ मानव जीवनशैली में आ रहे परिवर्तन से मनुष्य की मन:स्थिति पर पड़ने वाले प्रभावों दर्शाने का प्रयास किया है| इस पाठ में एक ऐसे व्यक्ति के जीवन को दिखाया गया है जो समय के साथ खुद बदल नहीं पाता है लेकिन उसका परिवार आधुनिकता को अपनाता चला जाता है| जिस कारण उस व्यक्ति और उसके परिवार के मध्य मतभेद रहने लगतें है और वो व्यक्ति अपने परिवार से दूर होता चला जाता है|
कहानी में दिखाया गया है कि कैसे यशोधर बाबू समय के साथ खुद को बदल नहीं पाए| यशोधर बाबू के परिवार के आधुनिकता को अपनाने के कारण उनका अपने परिवार से मतभेद रहने लगा और वो अपने परिवार से दूर होते चले गए| जिस कारण यशोधर बाबू को परिवार से दूर अकेला रहना ज़्यादा अच्छा लगने लगा| कहानी के द्वारा लेखक ने ये मूल सन्देश देने का प्रयास किया है कि समय के साथ परिवर्तन ज़रूरी है|
- यशोधर बाबू और उनके परिवार के मध्य मतभेद के क्या कारण थे?
उत्तर: पाठ के अनुसार यशोधर बाबू को आधुनिक विचार अच्छे नहीं लगते थे। जिस कारण वो अपने पुराने विचारों और जीवनशैली को ही अपनाए हुए थे| लेकिन समय के साथ यशोधर बाबू का परिवार आधुनिकता को अपनाता चला गया| जब तक यशोधर बाबू के बच्चे पढ़ते थे तो कोई समस्या नहीं थी| तब तक उनके बच्चे उनकी हर बात मानते थे| लेकिन जब बच्चे बड़े हो गए और नौकरी करने लगे तो उन्होंने अपने तरीके से जीवन जीना शुरू कर दिया| वैचारिक मतभेद के कारण अब उनके बच्चे उनकी बात नहीं मानते थे और उनसे बहस भी करने लगे थे| उनके बच्चे उनके पुराने विचारों का मज़ाक बनाने लगे थे| यशोधर बाबू की पत्नी भी बच्चो की सलाह पर आधुनिकता को अपना चुकी थी| लेकिन यशोधर बाबू पूरी तरह से अपने पुराने विचारों के प्रभाव में थे| ये बदलाव यशोधर बाबू को अच्छे नहीं लगते थे इसलिए अब उनका अपने परिवार से मतभेद रहने लगा था|
- इस पाठ के लेखक मनोहर श्याम जोशी का जीवन परिचय लिखिए।
उत्तर: पाठ के लेखक मनोहर श्याम जोशी का जन्म 9 अगस्त सन 1935 में अजमेर के एक बहुत सम्मानित और संपन्न परिवार में हुआ था| उन्होंने स्नातक की पढ़ाई लखनऊ विश्वविद्यालय से की थी| मनोहर श्याम जोशी ने 80 और 90 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित हो चुके धारावाहिकों जैसे ‘नेताजी’, ‘बुनियाद’, मुंगेरीलाल के हसीन सपने’ और ‘हमलोग’ की कहानी भी लिखी थी| ये धारावाहिक अपने समय में बहुत लोकप्रिय रहे थे| उन्होंने धारावाहिक एवम फिल्म जगत से सम्बंधित्त धारावाहिक पुस्तक ‘पटकथा-लेखन’ की भी रचना की थी| वो ‘साप्ताहिक हिंदुस्तान’ और ‘दिनमान’ के संपादक भी रहे थे| मनोहर श्याम जोशी आधुनिक साहित्य के युग के प्रसिद्द पत्रकार, उपन्यासकार, व्यंग्यकार, कुशल वक्ता और संपादक के रूप में जाने जाते हैं| 30 मार्च सन 2006 को नयी दिल्ली में उनका निधन हो गया थाल