Important Questions Class 12 Hindi Aroh Chapter 1 Poem

Important Questions for CBSE Class 12 Hindi Aroh Chapter 1 Poem Aatma Parichay, Ek Geet

The poet’s relationship to the world is summed up as “love” in the poem Atma Parichay. His life is a creation of opposites, such as melody in a cry, depression in a frenzy, fire in a cold voice,, and contradiction of the opposing harmonies.

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Its main aim is to make readers aware of this important truth about the speed with which time passes. Despite all his hardships, he cherished his life. Despite hopes and disappointments, the poet is content with his existence.

In the footsteps of Pratipadya-Nisha-Invitation, the poet transmits his poetic effort to hear the beating heart of the zoological class, which symbolises the daily diversity of nature. Its primary goal is to make readers aware of this important truth about how quickly time passes.

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CBSE Class 12 Hindi Aroh Important Questions Chapter 1 Poem Aatma Parichay, Ek Geet

Study Important Questions Class 12 Hindi पाठ 1: आत्म-परिचय

लघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक)

  1. कविता में लिखे गए दो कथन “जगजीवन का भार लिए घूमता हूँ” और “मैं कभी न जग का ध्यान किया करता हूँ” – एकदम विरोधाभाषी कताहन हैं| इन कथनों का क्या आशय है, स्पष्ट कीजिये?

उत्तर: कवि के शब्दों में जीवन का आशय जगत से है अर्थात वह जगतरूपी जीवन का भार लिए घूमता है। अर्थात वह सामान्य मानव रूप में अपने दायित्वों का निर्वाह कर रहा है| साधारण मनुष्य की तरह ही सुख-दुख, लाभ-हानि आदि को महसुस करता है। वह साधारण मनुष्य की तरह जीवन-मृत्यु के चक्र में ही अपनी जीवन यात्रा कर रहा है| इसलिए कवि ने अपने जीवन को जगत का भार कहा है, जिस भार का वहन उसे स्वयं ही करना है| दूसरी तरफ कवि ये भी कहता है कि उसे अन्य सांसारिक गतिविधियों में कोई रूचि नहीं है और वह इसपर ध्यान नहीं देता है कि संसार में क्या हो रहा है| हर आम व्यक्ति को सांसारिक बाधाओं का डर कुछ भी करने से रोके रखता है| तो वहीँ कवि इन सांसारिक बाधाओं से मुक्त रहता है| इसलिए कवि ने अपनी कविता में कहा है कि मैं जग का ध्यान कभी नही किया करता हूँ। अर्थात् वो सामाजिक वर्जनाओं से मुक्त होकर अपना जीवन जीता है| 

  1. “जहाँ पर दाना रहते हैं, वहीं नादान भी होते हैं”, इस कथन से कवि का क्या आशय है?

उत्तर: दाना से कवि का आशय है सब-कुछ जानने और समझने वाले लोग और नादान यानी मूर्ख व्यक्ति जो सांसारिक मायाजाल में उलझा रहतें हैं। मनुष्य ये जानता है की ये मोह माया सब व्यर्थ हैं लेकिन फिर भी वो इस मायाजाल में ही फंसा रहता है| मनुष्य जिस संसार को सत्य मानकर जीता है वो संसार वास्तव में असत्य है| इसलिए मनुष्य मोक्ष को अपना लक्ष्य ना मानकर लोभी बन जाता है और संग्रहवृत्ति में लगा रहता है| लेकिन इस संसार में ऐसे ज्ञानी लोग भी रहते हैं जो सत्य से परिचित हैं और वो मोक्ष को ही अपने जीवन का लक्ष्य मानकर चलते हैं| अर्थात कवि के कहने का तात्पर्य है कि इस संसार में ज्ञानी और अज्ञानी, सभी प्रकार के मनुष्य हैं| 

  1. ‘मैं और, और जग और, कहाँ का नाता’-पंक्ति में ‘और’ शब्द की विशेषता क्या है?

उत्तर: इस पंक्ति में कवि ने ‘और’ शब्द का तीन जगह भिन्न अर्थों में प्रयोग किया है। इस पंक्ति में इस शब्द को विशेषण के रूप में प्रयोग किया गया है, जो इसे विशेष बना देता है। ‘मैं और’ में ‘और’ शब्द से तात्पर्य है ‘अलग’, अर्थात मेरा अस्तित्व बिल्कुल अलग है। मैं तो कोई भिन्न अर्थात विशेष व्यक्ति हूँ। ‘और जग’ में ‘और’ शब्द का अर्थ है कि यह संसार भी कुछ अलग ही है। यह भी मेरे अस्तित्व की तरह भिन्न और विशेष है। तीसरे ‘और’ का अर्थ है ‘के साथ’। कवि का आशय है कि जब मेरा अस्तित्व इस संसार से बिलकुल अलग है तो मेरा इस संसार के साथ कोई भी संबंध कैसे स्थापित हो सकता है| अर्थात मैं और यह संसार अलग-अलग होने के कारण परस्पर मिल ही नहीं सकतें हैं|

  1. “शीतल वाणी में आग” इस विरोधाभाषी कथन का क्या अभिप्राय है? 

उत्तर: कवि का ये कथन ‘शीतल वाणी में आग’ पूर्णतया विरोधाभासी है| यहाँ कवि बताना चाहता है कि उसकी वाणी शीतल और विनम्र है, परंतु उसके मन में प्रबल असंतोष और विद्रोह है। वह सांसारिक व्यवस्थाओं से असंतुष्ट है| वह इस प्रेम रहित संसार को स्वीकार नहीं कर पा रहा है। अत: वह अपने इस असंतोष को अपनी वाणी से प्रकट कर रहा है। कवि इस संसार को जागृत करके अपने कवि धर्म का पालन कर रहा है| 

  1. बच्चे किस आशा में नीड़ों से झाँक कर देख रहे होंगे?

उत्तर: इस वाक्य में बच्चे का अभिप्राय चिड़िया के बच्चे हैं। इस पंक्ति में कवि बता रहा है कि जब उन बच्चो के माता-पिता भोजन की खोज में उन्हें घोसले में छोडकर दूर चले जाते हैं तो वो बच्चे दिनभर उनके लौटने की प्रतीक्षा करते हैं| बच्चे पुरे दिन इस आशा में रहते हैं कि उनके माता-पिटा उनके लिए ढेर सारा चुग्गा और भोजन लेकर आयेंगे और उन्हें देंगे| शाम होते ही बच्चे अपने घोसले से झांकर बIहर देखने लगते हैं| क्योंकि शाम होने तक उनके माता-पिता उनके लिए भोजन लेकर आते हैं और उन्हें देते हैं| बच्चो को ये आशा होती है कि शाम होने तक उनके माता-पिता उनके लिए भोजन लेकर आ जायेंगे और उन्हें चुग्गा खिलाएंगे और ढेर सारा प्यार और दुलार भी देंगे|  

  1. ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’-की आवृत्ति से कविता की किस विशेषता का पता चलता है?

उत्तर: कवि ने अपनी कविता में इस वाक्य ‘दिन जल्दी-जल्दी ढलता है’ का पप्रयोग कई बार किया है| इस वाक्य से कवि का तात्पर्य है कि जीवन बहुत छोटा है और जन्म के बाद मृत्यु निश्चित हैं| जैसे सूरज उगने के बाद डूब जाता है, ऐसे ही जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु भी होगी| इस संसार में सब कुछ नश्वर है| सबको एक दिन नष्ट हो जाना है| कवि उदाहरण देकर समझाता है कि जिस तरह किसी मुसाफिर को अपनी मंज़िल तक पहुंचना है या किसी पंछी को दिन ढलने से पहले अपने घोसले में अपने बच्चो के पास पहुँचना होता है| इस तरह सभी को अपनी मंज़िल तक पहुँचने की जल्दी है| सभी को लगता है कि यदि देर हुई और दिन ढल गया तो उनका अपनी मज़िल तक पहुँचना मुश्किल हो जाएगा| कवि ने इस वाक्य के माध्यम से जीवन के सत्य को प्रस्तुत किया है, ये ही इस वाक्य की विशेषता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (5 अंक)

  1. संसार में सांसारिक कष्टों को सहते हुए भी खुशी और उल्लास के साथ कैसे रहा जा सकता है?

उत्तर: मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इसलिए उसे हर सामाजिक सम्बन्ध को अपनाकर जीना होता है। जीवन में उतार चढ़ाव भी आते रहते हैं| मनुष्य जीवन में सुख भी आयेंगे और दुःख भी आयेंगे| कोई अमीर हो या गरीब, कोई भी व्यक्ति इन सुख या दुखो से मुक्त नहीं है| सभी को सुख और दुःख सहने पडतें हैं| जिस प्रकार रात के बाद दिन और दिन के बाद रात होती है| इस प्रकार ही मानव जीवन में सुख के बाद दुःख और दुःख के बाद सुख का क्रम चलता ही रहता है| सुख-दुःख जीवन के दो महत्वपूर्ण ध्रुव हैं जिनके मध्य जीवन यात्रा चलती रहती हैं| यदि हम सुख या दुःख को अपनी नियति समझकर स्वीकार कर लें तो दुःख में भी हमारे लिए उल्लास के साथ जीना संभव हो सकता है| सत्य ये हैं कि सुख की सच्ची अनुभूति भी तब ही हो पाती है जब कोई दुखों को सह लेता है| अर्थात सुख की अनुभूति दुःख के बिना संभव नहीं| यदि मानव इस सत्य को स्वीकार कर लेता है तो वो दुखों में भी बिना विचलित हुए मस्ती के साथ रह सकता है| सुख के समय पर अधिक सुखी ना होना और दुःख के समय पर विचलित ना होना मानव जीवन को नियंत्रित और संतुलित बनाये रखता है| जो व्यक्ति जीवन के इन दो पक्षों सुख और दुःख के साथ सामंजस्य बना लेता है वो सुख और दुःख, दोनों स्थिति में ही संतुष्ट रहता है| 

  1. जयशंकर प्रसाद की आत्मकथ्य कविता दी जा रही है। क्या पाठ में दी गई ‘आत्म-परिचय’ कविता और इस कविता में आपको कोई संबंध दिखाई देता है? व्याख्या करें।

आत्मकथ्य

मधुप गुन-गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी,

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उसकी स्मृति पाथेय बनी है थके पथिक की पंथा की।

सीवन को उधेड़ कर देखोगे क्यों मेरी कंथा की ?

छोटे से जीवन की कैसे बड़ी कथाएँ आज कहूँ?

क्या यह अच्छा नहीं कि औरों की सुनता मैं मौन रहूँ?

सुनकर क्या तुम भला करोगे मेरी भोली आत्म-कथा?

अभी समय भी नहीं, थकी सोई है मेरी मौन व्यथा।

 -जयशंकर प्रसाद

उत्तर: जयशंकर प्रसाद छायावादी काव्य के आधार स्त्मभो में से एक माने जाते हैं। उनके द्वारा रचित कविता ‘आत्मकथ्य’ तथा हरिवंशराय बच्चन द्वारा रचित कविता ‘आत्म-परिचय’ दोनों का भाव एक समान ही है। जिस प्रकार जयशंकर प्रसाद जी ने अपनी कविता के माध्यम से अपनी जीवनगाथा कही है उस प्रकार ही हरिवंशराय जी ने भी अपनी कविता के माध्यम सेअपने जीवन का वृतांत प्रस्तुत किया है| जयशंकर प्रसाद जी कहते हैं कि उन्हें कभी सुख की प्राप्ति नहीं हुई, सुख उनके लिए एक स्वप्न की तरह ही रहा – “मिला कहाँ वह सुख जिसका स्वप्न मैं देखकर जाग गया। आलिंगन में आते-आते मुसका कर जो भाग गया।”
कुछ इस प्रकार के ही भाव बच्चन जी की कविता में देखने को मिलते हैं| वे कहते हैं कि मेरा जीवन दुखो से ऐसे भरा रहा कि मैं दिन-प्रतिदिन रोता रहा और लोगों ने मेरे रोने को मेरा राग समझ लिया। मुझे कभी सुख की प्राप्ति नहीं हुई – “मैं निज रोदन में राग लिए फिरता हूँ”
इस प्रकार कहा जा सकता है कि इन दोनों कविताओं की मूल भावना सामान ही है। दोनों कवियों ने अपने शब्दों के माध्यम से अपने मनोभावों को प्रस्तुत किया है और अपने मन की वेदना को प्रकट किया है|

FAQs (Frequently Asked Questions)

1. Who is the poet of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 1 – Atma parichay?

Dr. Harivansh Rai Bachchan is the author of NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 1 – Atma parichay.

2. What is the underlying message of the Class 12 Hindi Aroh Chapter 1 poem?

The poet’s relationship to the world is summed up as “love” in the poem Atma Parichay. His existence is the product of contrasts, such as the melody in a cry, the depression in a rage, the fire in the chilling voice, and the contradiction of the opposing harmonies.

3. How much does downloading NCERT Solutions Class 12 Hindi Chapter 1 Aroh PDF cost?

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4. From where can we download the NCERT Solutions Class 12 Hindi Aroh Chapter 1 PDF?

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5. Why study from NCERT Solutions Class 12 Hindi Aroh?

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